Book Title: Kahavali Pratham Paricched Pratham Khand
Author(s): Kalyankirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 461
________________ [४१७] पृष्ठम् | शब्दः पृष्ठम् | शब्दा पृष्ठम् | शब्दः पृष्ठम् पुंखारय * १९२ २१२, २२९ २१५ | १७० पइसारिअ पउत्थ पउलिल्ल पउली* पंखेरुय पच्चला पच्छोप्पय * पज्जण पट्टाढा पडलिया पडिओस (?)* पडिदाय पडियार * पडिवट्ठी पढमेल्लुग ३३२ | पासेअ ३७३ पुज्जंत पुज्जारअ ३८७ पुत्तेडय * पुलंत ११७ | पुलंपुल ३५४ | पूलिय * पेइय ३३४ पेइय पेज्जा पेट्टवलि पोट्टलिअ १५६ भुट्टमाण * १७० ३०८ १२१ १५६ | भेड * २३५ ३८७ | भोल १६९ ९४ १६८ ३६० | पोड* १३२ १५९ १५६ ३५६ १५६ वच्छरी ३३४ पत्तुल्लग * पत्थिय पभास पोत्तबंध पोत्तावेडय पोल्ल फंफसी* फणस फालय ३५४ | भरोसाल १८० | मोरुल्लअ ३६ | भाड २९१ | रहुकाविय * ३६ | भिंगरिडी* | रिल्ली २४८ | भिडित्त ३४२ | रुद्धिरी ३५ | भिणिहिणंत * ३४२ | रोल १५८ | भिसिया १०२, १४३ | लडह ३५८ | भुंभुरभोलिया * ३४४ | लड्डुग लल्लि भुल्ला लुंचविलुंचिज्जंत भुल्ल १६५, २४१ | लोट्टाविय ३४३ | लोणिय ८,२४८,३२० लोलिती मउडि २३८ ल्हसिय | मंगुल वंकछप्पर | मंडग | वंभ * | मंडयकुक्कुडिया * | मंडिया | वडवडींती | मंभीसिय वद्धावणग ९३ | मघमत वरंडी | मच्छलिया २३७ | मच्छुल्लिया २१३ वरहग * | मडप्फर १२२, ३०६ वरिअ | मड्डा १७७ | वरुव्वण * ३८८ | मत्तवारण २८ | वलवलिय* ३६४ | मभीसंत १४८ | वलिय १५३ | मम्मण १७० वलु २३८ | मयहरिया २४४ | वल्लहेरी ३३४ | मयहर ९४ | वसिम मसिकुच्च १३५ | वहोडिय * २०, १९३, ३७९ | मामअ वाड * ३४५ मामहसाल * १४१ वाणारसंव* ३३६ | मासल | वारोसारअ २५९ मिठिल्ल १०७ विंटली | मुसुमूरिय १२४ विंभल | मेरा २०, २३९ विग्गलय* ३३३ | मेलावग | विग्गोवेंत | मोक्कपोक्क* ४० । _urum पम्हु? वरणअ* ३३७ २१९ फिट्ट २५२ २५३ फुसार * ३५६ २४२ ८७ ३८७ ९४ परद्ध परद्ध पराइआ परित्ता पलाविय पल्लट्टण पल पवित्तिया पहरग पहरथक्क पहुच्चंत पाउक्खालिय पाड पाडग पाण पायकड्डणी पाली* १५५ फेक्कार २३७ फेरिअ ३०९ | बलवण* ४१, १५३ बलामोडी १४८ बोक्कडग १४३ बोडिय भंडग भंडण ३३० भग्गभुग्ग ८३ भत्तिज्जिय ३२२ भत्तीज ३५०,३५५ भत्थ ३७१ ३५८ | भद्दाविय * ३३२ | भरोसअ* ९४ ३४१ ३७५ भत्थय ३५२ २४८ विच्छड्डु

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