Book Title: Jinvani Special issue on Karmsiddhant Visheshank 1984
Author(s): Narendra Bhanavat, Shanta Bhanavat
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 363
________________ हमें गौरव है ऐसे महान् धर्मगुरु धर्माचार्य के शिष्य होने का । अाज हमारे समक्ष उपस्थित है एक महान् सुअवसर-अपने आराध्य गुरुदेव के चरणों में श्रद्धा एवं भक्ति के पुष्प समर्पित करने का। अनन्त उपकार हैं पूज्य प्रवर के हम पर, जिन्होंने हमें जीवन की सच्ची राह दिखाई है । यद्यपि जन्म-जन्मान्तरों तक भी हम उनके ऋण से उऋण नहीं हो सकते तथापि आइये ! आप हम सब एक साथ मिलकर अटल संकल्प करें कि पूज्य गुरुदेव के साधनामय जीवन के इस विशिष्ट पावन प्रसंग पर हम "त्वदीय वस्तु गोविन्द ! तुभ्यमेव समर्पये" कहते हुए यत्किचित् साधना-सुमन उन्हीं के चरणों में समर्पित करें। और इस प्रकार पूज्य गुरु गजेन्द्र से प्राप्त सामायिक-स्वाध्याय के प्रसाद को हम घर-घर पहुँचाकर उनके भागीरथ-प्रयास में अपना भी कुछ योगदान करें। इसी शुभ भावना व आपके सहयोग के विश्वास के साथ कुछ संकल्प आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं :१. कम-से-कम ७५ व्यक्ति आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार करें। २. कम-से-कम ७५ नये स्वाध्यायी बनें। ३. कम-से-कम ७५ जैनेतर व्यक्ति सप्त कुव्यसन त्याग करें। ४. कम-से-कम ७५ स्थानों पर सामायिक संघों को सुव्यवस्थित करना। ५. एक वर्ष के लिये ७५ छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना-करवाना । ६. कम-से-कम ७५ व्यक्ति पौष शुक्ला चतुर्दशी से ७५ दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करें। ७. कम-से-कम ७५ नये व्यक्ति धर्मस्थानक में सामायिक-साधना का संकल्प करें। ८. कम-से-कम ७५ व्यक्ति एक वर्ष के लिये रात्रि भोजन त्याग करें। ६. कम-से-कम ७५ कार्यकर्ता तैयार करना एवं उनसे नियमित सम्पर्क स्थापित करना। १०. "गजेन्द्र-सूक्ति सुधा" के अंग्रेजी संस्करण का प्रकाशन । ११. कम-से-कम ७५ बच्चे एक वर्ष में सामायिक/प्रतिक्रमण सीखने का संकल्प करें। यह कार्य शीघ्र सम्पन्न हो सके, इसमें आप सबका सहयोग अभीष्ट है। आपके सहयोग, मार्ग-दर्शन व प्रेरणा से ही संघ इस कार्य को पूर्ण कर सकेगा। आपके स्नेह व सहकार की अपेक्षा के साथ । * विनयावनत * सम्पतसिंह भांडावत माणकमल भंडारी अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र बाफना ___ महामंत्री श्री अ० भा० जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ घोड़ों का चौक, जोधपुर-३४२ ००१ . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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