Book Title: Jinsutra
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwe Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 79
________________ सिद्धान्तों की कलात्मक एवं वैज्ञानिक प्रस्तुति होगी। विशाल भूखंड पर निर्मित हो रहा यह समवसरण मंदिर अद्भुत अनुपम होगा। जैन-धर्म व दर्शन के प्रसार-प्रचार के लिए विश्व स्तर का आकर्षण केन्द्र बन सके इस हेतु इसमें जैन उपासना पद्धति, जैन भौतिकी, जैन दर्शन एवं जैन साहित्य तथा दर्शनीय वस्तुओं का विशाल संग्रह होगा। इस समवसरण मंदिर में चार वीथिकाएं होंगी जिनमें दर्शन, ज्ञान, चारित्र और जैन संग्रहालय की वीथिकाएं रहेंगी। पूर्ण निर्मित होने पर यह समवसरण मन्दिर जैन-संस्कृति का अनुपम दर्शनीय स्थल बन जाएगा। चमत्कार और संकट-मोचन के लिए नाकोड़ा तीर्थ जन-जन का आराध्य केन्द्र है। नाकोड़ा भगवान् का स्मरण जीवन-पथ को निर्बाध और प्रशस्त करता है। नाकोड़ा तीर्थ :संक्षिप्त परिचय/७८

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