Book Title: Jinsadharan Stavan no Aswad Author(s): Parul Mankad Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ 31 हरिभद्रसूरिनी ज एक अन्य कृति 'संसारदावानलस्तुति' पण समसंस्कृतप्राकृत छे अने तेना पद्य 1- संसारदावानलदाहनीरं साथे प्रस्तुत अष्टकनु पद्य२ भवदवजलवाह वगेरे. पद्य-१-संमोहधूलीहरणे समीरण अने पद्य-३ मायारेणूसमीरण, पद्य-४ परिमलालीढलोलालिमाला अने पद्य-१- सुरनरनिवाहालिकुलसमालीढम् - समांतरे आस्वादी शकाय. टूकमां विजयशीलचंद्रसूरिजी संशोधित, संपादित आ कृति काव्यतत्त्वनी दृष्टिए पण उत्तम कक्षानी बनी रही छे. संदर्भग्रंथ 1. अनुसंधान , अंक-८, 1997. 2. अलंकारकोश , सं. ब्रह्ममित्र अवस्थी , इन्दु प्रकाशन , दिल्ही, ई.स. 1986. 3. काव्यालंकार - सं. रामदेव शुक्ल, चौखम्बा, विद्याभवन, वाराणसी, ई.स. 1966. 4. सरस्वतीकंठाभरण - सं. केदारनाथ अने वासुदेव शास्त्री, निर्णयसागर, मुंबइ, ई.स. 1924. 5. संसारदावानलस्तुति , श्री दयाविमल जैन ग्रंथमाला, अमदावाद. ई. स. 1917. 6. साहित्यदर्पण - सं. पं. दुर्गाप्रसाद द्विवेदी, निर्णयसागर, मुंबइ, ई. स. 1902. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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