Book Title: Jinmurti Pooja Sarddhashatakam
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 205
________________ सन्तशिरोमणि ! आपके वात्सल्यभाव से मैत्री और करुणा की ऐसी अजस्रधारा बह रही है, जो राष्ट्र और समाज का कल्याण करती हुई निरन्तर प्रवहमान है । अद्भुत व्यक्तित्व ! सयम की शुद्ध साधना में संगम आपश्री के जीवन में जीवन सद्ज्ञान ( विहगज्ञान) पर उड़कर मोक्षमार्ग की उड़ान भर रहा है । विपुल ज्ञान का अपूर्व मिलता है । आपका और क्रिया के पंखों आज हम माँ मीराँ, योगिराज आनन्दघनजी एवं कविवर वृन्द की पुनीत पावन स्थली मेड़ता शहर की इस धरती पर सकल संघ की उपस्थिति में पूज्य प्राचार्य भगवन्त को 'श्रीजिनशासनशणगार' के अलंकरण से विभूषित करते हुए अपार गौरव की अनुभूति करते हैं । आपके श्रीचरणों में शत-शत वन्दन । शुभ मिति वैशाख शुक्ला ६, बुधवार संवत् २०५० दिनांक २८-४-१९६३ विनीत : जैन सकल संघ, मेड़ता शहर

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