________________ UPHIN/2006/16750 / / श्री सम्मेदशिखराय नमः।। तीर्थराज सम्मेद शिखर की पावन धरा पर पर्वराज पर्युषण के पुनीत प्रसंग में पावन वर्षायोग 2009 श्रावक सांस्कार शिविर एवं श्री 1008 जिनसहानाम विधान दिनांक : 24 अगस्त से 3 सितम्बर 2009 तक स्थान : गुणायतन, मधुवन (शिखरजी), जिला-गिरिडीह परमपूज्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज मुनिश्री 100 प्रमाणसागर जी महाराज संघस्थ ल्यागी वृंद शिविर निर्देशक एवं विधानाचार्य ब. शांतिलाल जी (बाबाजी )- वं. अनूप भैया बा.ब्र. अन्न भैया जी . बा.ब.रोहित भैया जी मुनिश्री पुराणसागरजी महाराज मुनिश्ची अरहसागरजी महाराज मुनिश्री विराटसागरजी महाराज मान्यवर, शाश्वत तीर्थराज श्री सम्मेदशिखर जी की पावन धरा पर संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री 108 प्रमाणसागरजी महाराज, मुनिश्री पुराणसागरजी महाराज, मुनिश्री अरहसागरजी महाराज एवं मुनिश्री विराटसागरजी महाराज के ससंघ सान्निध्य में पर्वराज पर्युषण के पावन अवसर पर श्रावक संस्कार शिविर एवं श्री 1008 जिन सहस्रनाम विधान का आयोजन होने जा रहा है। आर्यिका 105 पूर्णमती माताजी द्वारा विरचित भक्ति और अध्यात्म रस से ओतप्रोत यह बड़ा ही अद्भुत विधान है। आपसे आग्रह निवेदन है कि इस पावन अवसर पर सपरिवार पधारें और संस्कार के साथ ज्ञान और भक्ति की अविरल धारा में अवगाहित होकर धर्मलाभ लेवें। दिनांक 24 अगस्त 2009 को प्रातः - ध्वजारोहण, मण्डप शुद्धि, पात्र चयन, इन्द्र प्रतिष्ठा एवं नित्य-पूजन विधान विशेष * इच्छुक महानुभाव शीघ्र ही अपना आरक्षण कराने के लिए दूरभाष द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं। * शिविर में 15 वर्ष से अधिक के पुरुष, महिलाएं एवं भाई बहन भाग ले सकते हैं। * आवेदन की अन्तिम तिथि 10 अगस्त 2009 रखी गई है। इसके बाद आवेदन मान्य नहीं होगा। * जो लोग केवल विधान में शामिल होना चाहते हैं उनके लिए शिविर के नियम बंधनकारी नहीं होंगे। -निवेदक समस्त ट्रस्टी एवं पदाधिकारी श्रीसेवायतन पावन वर्षायोग समिति 2009 गुणायतन - सम्पर्क सूत्र : वर्षायोग कार्यालय, गुणायतन, मधुवन (शिखर जी ) फोन : 06558-232438, 9835321008, 9431224555, 9431115141 स्वामी, प्रकाशक एवं मुद्रक : रतनलाल बैनाड़ा द्वारा एकलव्य ऑफसेट सहकारी मुद्रणालय संस्था मर्यादित, 210, जोन-1, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) से मुद्रित एवं 1/205 प्रोफेसर कॉलोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) से प्रकाशित। संपादक : रतनचन्द्र जैन। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org