Book Title: Jin Dharm Vivechan
Author(s): Yashpal Jain, Rakesh Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 101
________________ २०० २०१ जिनधर्म-विवेचन उतर - उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य - ये तीनों स्वयं पर्यायों के ही होते हैं अथवा ये तीनों पर्यायाश्रित धर्म हैं। २४८. प्रश्न - उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य - ये तीनों पर्याय हैं, ऐसा कथन क्या किसी शास्त्र में भी आया है? उतर - हाँ, उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य - ये तीनों पर्यायों के होते हैं, ऐसा स्पष्ट कथन पंचाध्यायी शास्त्र में तो आया ही है। प्रवचनसार गाथा ९५ की टीका में भी यह विषय स्पष्ट हुआ है। पंचाध्यायी (अध्याय १, श्लोक २००) में आता है - "उत्पादस्थितिभङ्गाः पर्यायाणां भवन्ति किल न सतः। ते पर्याया द्रव्यं, तस्माद् द्रव्यं हि तत्रितयम् ।। उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य- ये तीन पर्यायों के ही होते हैं, सत् के नहीं। और उन पर्यायों के समूह को द्रव्य कहते हैं, इसलिए द्रव्य इन तीन स्वरूप होता है। २४९. प्रश्न - उत्पाद किसे कहते हैं? उतर - द्रव्य में नवीन पर्याय की उत्पत्ति को उत्पाद कहते हैं। द्रव्य में नवीन पर्याय की उत्पत्ति इस ‘उत्पाद' नामक शक्ति से होती है। इस उत्पाद नामक शक्ति का कथन समयसार परिशिष्ट की ४७ शक्तियों में १८वीं शक्ति उत्पादव्ययधुवत्वशक्ति के अन्तर्गत आता है। २५०. प्रश्न - क्या द्रव्य में नवीनपर्याय निमित्तों से नहीं होती? उतर - निमित्तरूप द्रव्य की पर्याय, अन्यद्रव्य की पर्याय का उत्पादक कारण नहीं हो सकती; तथापि ज्ञापक (ज्ञान करानेवाला) कारण जरूर है। देखो, अन्यद्रव्य की पर्याय के निमित्त होने का निषेध नहीं है। जब भी किसी द्रव्य की कोई भी नई पर्याय/अवस्था होगी, तब कालद्रव्य की समयरूप पर्याय तो नियम से निमित्तरूप से होती ही है। जिसप्रकार समय, नई पर्याय का उत्पादक/कर्ता नहीं हो सकता, उसीप्रकार किसी भी एक पर्याय की कर्ता, अन्यद्रव्य की पर्याय हो ही नहीं सकती; हाँ निमित्तरूप होने का निषेध नहीं है। पर्याय-विवेचन २५१. प्रश्न - आम के रसगुण की खट्टी पर्याय मीठी हो जाती है। यहाँ इस मीठेपनरूप पर्याय की कर्ता कौन है? आमरूप पुद्गलद्रव्य में स्थित उत्पादशक्ति ने मीठापन उत्पन्न किया अथवा कृषक ने हरे-खट्टे आम को घास में रखा था, उसके कारण मीठेरूप पर्याय उत्पन्न हुई? उतर - द्रव्य में नई पर्याय की उत्पत्ति को उत्पाद कहते हैं - इस परिभाषा के अनुसार तो मीठेपन का उत्पादक/कर्ता तो द्रव्य की उत्पादरूप शक्ति ही है, अन्य नहीं; ऐसा सहज निर्णय हो जाता है। २५२. प्रश्न - आम के मीठेपन में उसकी उत्पादरूप शक्ति ने कितने प्रतिशत काम किया और किसान, घास, कमरा आदि ने कितने प्रतिशत काम किया? उतर - यद्यपि आम के मीठेपन में उसकी उत्पादशक्ति ने ही शतप्रतिशत काम किया है; किसान, घास, कमरा आदि ने एक प्रतिशत भी काम नहीं किया है; तथापि किसान, घास, कमरा आदि वस्तुएँ मीठेपन में निमित्तरूप से हैं ही; क्योंकि किसी भी कार्य के होने में दो कारण अवश्य होते हैं - १. उपादानकारण और २. निमित्तकारण। २५३. प्रश्न - उत्पाद-व्यय-ध्रौव्यरूप शक्ति कितने द्रव्यों में है? उतर - उत्पाद-व्यय-ध्रौव्यरूप शक्ति जीवादि छह द्रव्यों में अनादिकाल से है और अनन्तकाल तक रहेगी; क्योंकि यह तो द्रव्य के लक्षण स्वरूप है। प्रत्येक पर्याय की स्वतन्त्रता समझने के लिए आत्मख्याति में समागत भाव-अभावादि शक्तियों का ज्ञान करना भी उपयोगी है - __ “प्रत्येक द्रव्य में एक शक्ति ऐसी है, जिसके कारण द्रव्य, अपनी वर्तमान अवस्था से युक्त होता है अर्थात् प्रत्येक समय उसकी निश्चित अवस्था होती है; उसे भावशक्ति कहते हैं। तथा एक शक्ति ऐसी भी होती है, जिसके कारण उसमें वर्तमान अवस्था के अतिरिक्त अन्य कोई अवस्था नहीं होती; इस शक्ति का नाम अभावशक्ति है। १. भूतावस्थरूपा भावशक्तिः - समयसार, आत्मख्याति टीका, परिशिष्ट २. शून्यावस्थत्वरूपा अभावशक्तिः- वही (101)

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