Book Title: Jati Smaran Vina Vage Ena Nade Atam Jage
Author(s): Saumyajyotishreeji
Publisher: Vishvamangal Prakashan Mandir

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Page 392
________________ विशाल साहित्यसर्जक-संपादक पू. भाचार्य म. श्री विनय कनक चन्द्र सूरीश्वरजी महाराजश्री द्वारा लिखित संपादित हिन्दी प्रकाशन 6-00 12-50 4-50 पर्यषण के प्रेरक प्रवचन बीत गई रात जाग उठा प्रभात बूझ गई बत्ती जल रही ज्योति जाग मुसाफिर भोर भई पतन और प्रायश्चित दीप से दीप जले नवपद आराधना विधि धर्म का मर्म शांत सुधारस भावना त्रिषष्टि जिनेन्द्र स्तव संग्रह स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य ही है स्वाध्याय दोहन द्वितीयावृत्ति (प्रेसमें) OM श्री कि मणीला ठी. केशर निवास, ग. .5 (उ.गु.)

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