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जीवन-पर्यन्त समाज-सेवा के महान् अनुष्ठान में सलग्न
जन्म
स्वर्गवास अम्बाला छावनी लाला राजकृष्ण जैन
देहली १०-११-१६०० १दरियागज, देहली
४-२-७३ आपके द्वारा मूडविद्रिस्थित 'धवल ग्रन्थों का जीर्णोद्धार हवा, देहली में अहिंसा मदिर, धर्मशाला चिकित्सालय, वाचनालय आदि का निर्माण, तीर्थों व जिनवाणी आदि की रक्षा के अनेक कार्य हुए।
प्रस्तुत पुस्तिका उनकी स्मृति में उनके पुत्र श्री प्रेमचन्द्र जैन ने भारत के विश्वविद्यालयों को भेट स्वरूप प्रदान की।