Book Title: Jain Thoughts And Prayers
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: Yorkshire Jain Foundation

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Page 40
________________ मैत्री भावनु महावीर आरती (धुन :- ॐ जय जगदीश हरे) मैत्री भावनुं पवित्र झरणुं, मुज हैयामा वहिया करे ; शुभ थाओ आ सकल विश्वनु, एवी भावना नित्य रहे। गुणथी भरेला गुणीजन देखी, हैयुं मारूं नृत्य करे ; ए संतोना चरण कमलमां, मुज जीवन- अर्ध्य रहे। दीन क्रूर ने धर्म विहोणा, देखी दिलमां दर्द वहे; करुणाभीनी आंखोमांथी, अश्रुनो शुभ स्रोत वहे। मार्ग भुलेला जीवन पथिक ने, मार्ग चींधवा उभो रहूं; करे उपेक्षा ए मारगनी, तोये समता चित्त धरूं। ॐ जय सन्मति देवा, स्वामी जय सन्मति देवा।। वीर महा अतिवीरं प्रभु जी, वर्द्धमान देवा ।। ॐ जय सन्मति ... त्रिशला उर अवतार लिया प्रभु, सुर नर हर्षाये। स्वामी सुर ... पन्द्रह मास रतन कुण्डलपुर, धनपति वर्षाये।। ॐ जय... शुक्ल त्रयोदशी चैत्र मास की, आनन्द करतारी। स्वामी आनन्द... राय सिद्धारथ घर जन्मोत्सव, ठाठ रचे भारी।। ॐ जय... तीस वर्ष लों रहे गृह में, बन कर ब्रह्मचारी। स्वामी बन कर ... राज त्याग कर भर जोवन में, मुनि दीक्षा धारी।। ॐ जय ... द्वादश वर्ष किया तप दुर्द्धर, विधि चकचूर किया। स्वामी विधि... झलके लोकालोक ज्ञान में, सुख भरपूर लिया।। ऊँ जय ... कार्तिक श्याम अमावस के दिन, जाकर मोक्ष बसे। स्वामी जाकर ... पर्व दिवाली चला तभी से, घर घर दीप जले ।। ॐ जय ... वीतराग सर्वज्ञ हितैषी, शिवमग परकाशी। स्वामी शिवमग ... हरिहर ब्रह्मनाथ तुम्ही हो, जय जय अविनाशी ।। ॐ जय ... दीन-दयाला जग-प्रतिपाला, सुर नर नाथ जजै। स्वामी सुर... सुमरत विघ्न टरै इक छिन में, पातक दूर भजै ।। ॐ जय.... चोर भील चाण्डाल उबारे, भव दुख-हरण तुही। स्वामी भव ... पतित जान 'शिवराम उबारो, हे जिन शरण गही।। ॐ जय.... चित्रभानूनी धर्म भावना, हैये सौ मानव लावे ; वेर झरनां पाप तजीने, मंगल गीतो ए गावे। For Private & Personal Use Only www.yjf.org.uk For Private & Personal Use Only www.yjf.org.uk 80

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