Book Title: Jain Sampradaya Shiksha
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 282
________________ भाग हुए, इन में ५ का बस १४ घड़ी, २० पल सेकिण्ड हुए । पञ्चम अध्याय || ७१७ दिया तो लब्ध १८ हुए, इन्ही को सेकिण्ड समझो, ४५ विपल के ५ घण्टे, ४४ मिनट तथा १८ तथा बनाने हों २ का भाग विपल बन से चढा कर घटी; पल और इसी प्रकार यदि घण्टा; मिनट और सेकिण्ड के घटी ; पल और विपल तो घण्टा; मिनट और सेकिण्ड को ५ से गुणा कर तथा ६० दो अर्थात् आधा कर दो तो घण्टा मिनट और सेकिण्ड के नावेंगे, जैसे- देखो ! इन्हीं ५ घण्टे ४४ मिनट तथा १८ सेकिण्ड को ५ से गुणा किया तो २५|२२०/९० हुए, इन को ६० से चढ़ाया तो २८।४१।३० हुए, इन में दो का भाग दिया ( आधा किया ) तो १४।२०।४५ रहे अर्थात् ५ घण्टे ४४ मिनट तथा १८ सेकिण्ड की १४ घटी; २० पल तथा ४५ विपल हुए, यह भी स्मरण रखना चाहिये कि दो का भाग देने पर जब आघा बचता है तब उस की जगह ३० माना जाता है, जैसे कि - ४१ का आधा २०॥ होगा, इस लिये वहाँ आषे के स्थान में ३० समझा जावेगा, इसी प्रकार ढाई गुणा करने में भी उक्त बात का स्मरण रखना चाहिये । इस का एक अति सुलभ उपाय यह भी है कि- घण्टे ; मिनट और सेकिण्ड की जब घटी आदि बनाना हो तो घण्टे आदि को दूना कर उस में उसी का आधा जोड़ दो, जैसे - ५१४४।१८ को दूना किया तो १०/८८ ३६ हुए, उन में उन्हीं का आधा २ । ५२/९ जोड़े तो १२।१४०/४५ हुए, इन में ६० का भाग दिया तो १४/२०/४० हुए अर्थात् उक्त घण्टे आदि के उक्त दण्ड और पल आदि हो गये | सूर्यास्त काल साधन | पञ्चाङ्ग में लिखे हुए प्रतिदिन के दिनमान के प्रथम ऊपर लिखी हुई क्रिया से घण्टे; मिनट और सेकिण्ड बना लेने चाहियें, पीछे उन्हें आधा कर देना चाहिये, ऐसा करने से सूर्यास्तकाल हो जावेगा, उदाहरण --- कल्पना करो कि - दिनमान ३११३५ है, इनके घण्टे बनाये तो १२ घण्टे तथा ३८ मिनट हुए, इन का आधा किया तो ६।१९ हुए, बस यही सूर्यास्तकाल हुआ अर्थात् सूर्य के अस्त होने का समय ६ बज कर १९ मिनट पर सिद्ध हुआ, इसी प्रकार आवश्यकता हो तो सूर्यास्तकाल के घंटे आदि को दूना करके घटी तथा पल बन सकते है अर्थात् दिनमान निकल सकता है | १- पहिले ९० मे ६० का भाग दिया तो लब्ध एक आया, इस एक को २२० में जोड़ा तो २२१ हुए, शेष बचे हुए ३० को वैसा ही रहने दिया, अब २२१ मे ६० का भाग दिया तो लब्ध ३ आये, इन ३ को २५ में जोड़ा तो २८ हुए, शेष बचे हुए ४१ को वैसा ही रहने दिया, बस २८|४१ | ३० हो गये ॥

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