Book Title: Jain Prabodh Pustak 01
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(६एए) चढावे, समवसरण रचना करे, त्रिगडा उपर प्रनु जीने बिराजमान करे, मंत्रपवित्र धान्यें करी प्राकार समवसरण रचना करे, इंध्वजा चढावे, रूप्यमय अदतमय अष्टमांगलिक चढावे,गुनवर्ण शुनगंधवाला पुष्पादिक च डावे, इव्यनंमारामां मूके, केवलझाननो नत्सव करे, विविध प्रकारनां पक्कान्न ढोवे, जिनबिंब जरावे, चैत्य करावे, एवा विधियें करीब मासपर्य त श्रीअरिहंत पदने आराधे. इति प्रथम पदाराधना॥. ___ए प्रथम पदनो विधि कह्यो. एवीज रीतें विधि प्रपायंथ नपरथी अत्यंत विस्तारपूर्वक चौदमा पद सु धीनो विधि तोपर्व को महापुरुषनो रचेलो ग्रंथ महा री पामें ने, नेमां लखेलो;अने पाबलाब पदनो विधि को गीतार्थना सहायथी लखी तैयार करत, पण तेटलो विधि आमां दाखल करवाथी आ पुस्तकना सुमारे १२५ पृष्ठ जरा जात; तेथी ग्रंथ घणो म होटो थइ जाय; तेमज एटला विधि पूर्वक तपश्चर्या करनार श्रावक नाइननी संख्या पण स्वल्प.ने, माटे थोडानेज खपमां आवे; एवा हेतुथी ते विधि प्रा. पुस्तकना पाबल बापवामां आवनारा बीजा अथ वात्रीजा नागमा दाखल करवानो विचार राखी ने हालमां वीशे पदनो संदेपविधि नीचे दाखल करे लो . विस्तार विधिना इनक नव्यजीवोएं पद पद नो विधि गुरुमुखथी धारीने तप आराधन कर,.

Page Navigation
1 ... 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827