Book Title: Jain Mandir aur Harijan Author(s): Bansidhar Pandit Publisher: Z_Bansidhar_Pandit_Abhinandan_Granth_012047.pdf View full book textPage 1
________________ जैन मन्दिर और हरिजन जैन संस्कृतिके आधारपर होनेवाली समाजरचनायें मानव-मानवके बीच छुआछूतको स्थान मिलना असम्भव है । यद्यपि कुछेक जैन ग्रन्थोंमें छुआछूतका उल्लेख है और जैन समाज में उसका प्रचलन भी एक अर्से से चला आ रहा है । परन्तु यह निश्चित बात है कि जैन संस्कृतिके ऊपर वैदिक संस्कृतिका प्रभाव पड़ जाने के . कारण ही यह सब कुछ हुआ है। इसलिए पहली बात तो यह है कि यदि भारतवर्षने छुआछूतको समाप्त किया जाता है तो जैनोंको तो प्रसन्न ही होना चाहिये। दूसरी बात यह है कि जैन मन्दिरोंमें हरिजनोंके प्रवेश करनेका विरोध करने से पहले हमें यह सोच लेना चाहिए कि समग्र भारतवर्षसे यदि छुआछूतको समाप्त कर दिया जाता है तो जैनोंमें इसका प्रचलन बना रहना असम्भव है । हरिजन मन्दिर प्रवेश बिलका केवल इतना हो आशय है कि जो स्थान सर्वसाधारणके उपयोगके लिए खुला हुआ है उस स्थान में जानेसे हरिजनोंको सिर्फ इसलिए नहीं रोका जा सकता है कि वे अछूत है । अतः जैनोंको इससे डरनेकी बिलकुल आवश्यकता नहीं है कि हरिजन जैसी चाहे वैसी हालत में जैन मन्दिरमें प्रवेश करेंगे और वहाँपर मनचाहा काम करेंगे; क्योंकि कानून वैदिक मन्दिरोंके समान जैन मन्दिरोंकी सुरक्षा और सुव्यवस्थाका भी ध्यान रखा जायगा । अधिकार प्राप्त हो जाते हैं जो कि सिर्फ एक जैनीको ही भ्रम भी अपने दिलसे निकाल देना चाहिये, क्योंकि बिलके हो सकते जो सामान्यतः एक जैनीको प्राप्त हैं । जैजोंमें हरिजन मन्दिर प्रवेश बिलके बारे में एक भ्रम यह भी फैला हुआ है कि इस बिलसे हरिजनोंको प्राप्त हो सकते हैं। मैं कहता हूँ कि जैनोंको यह जरिये अर्जन ब्राह्मणको भी वे अधिकार प्राप्त नहीं उपर्युक्त कथनसे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि जैन मन्दिरोंके बारेमें हरिजन मन्दिर प्रवेश बिल निम्नलिखित रूप से लागू होता है ( १ ) प्रत्येक जैनी, चाहे वह हरिजन ही क्यों न हो, उन सब अधिकारोंके साथ जैन मन्दिर में प्रवेश पानेका अधिकारी है, जो सामान्यतः जैन होनेके नाते स्वभावतः उसे प्राप्त हो जाते है । (२) जबकि अर्जन ब्राह्मण आदि जैन मन्दिर में प्रवेश कर सकते हैं तो जिस तरहसे और जहाँतक वे मन्दिरके अन्दर प्रवेश करते हैं उस तरहसे और वहाँतक अछूत होनेके कारण अजैन हरिजनोंको प्रवेश करनेसे नहीं रोका जा सकता । (३) जैन संस्कृतिकी धार्मिक मर्यादा, मन्दिरकी पवित्रता और मन्दिरके अन्दर शान्ति कायम रखनेके उद्देश्यसे मन्दिरकी व्यवस्थापक कमेटी मन्दिर प्रवेश के विषयमें सामान्य रूपसे ऐसे नियमोंका निर्माण कर सकती हैं, जो अछूतताको प्रोत्साहन देनेवाले न हों । जो लोग मन्दिरोंके बारेमें हरिजन मन्दिर प्रवेश बिल लागू होनेका विरोध करते हैं उनकी मुख्य दलीलें निम्न प्रकार है- (१) जैन हिन्दू नहीं है, इसलिए यह बिल जैन मन्दिरपर लागू नहीं होना चाहिये । (२) ऐसा एक भी हरिजन नहीं है, जो जैनधर्मका माननेवाला हो । (३) धके क्षेत्र में शासनको हस्तक्षेप करनेका अधिकार प्राप्त नहीं हो सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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