Book Title: Jain Katha Sahitya ki Vikas Yatra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 445
________________ सन्दर्भ-ग्रन्थानुक्रमणिका | ४२६ ११६. नम्मयासुन्दरी कहा ११७. नलचम्पू ११८. नायाधम्मकहाओ ११६. नारदपुराण १२०. न्याय बिन्दु १२१. नियमसार १२२. निरुक्त १२३. निशीथचूणि १२४. निशीय भाष्य १२५. नेमवाणी -सं० पुष्कर मुनि महाराज १२६ नौका और नाविक (उपन्यास) -उपाचार्य देवेन्द्र मुनि १२७. पंचकल्पचूर्णि १२८. पंचकल्प महाभाष्य १२६. पंचास्तिकाय १३०. पउमचरियं १३१. पदमपुराण -रविषेणाचार्य १३२. पन्नवण्णा १३३. पर्युषणाऽष्टाह्निका व्याख्यान १३४. परमात्म प्रकाश १३५. प्रभास पुराण १३६. प्रबोध चिन्तामणि १३७. प्रवचनसार १३८. प्रवचनसारोद्धार १३६. प्रज्ञापना १४०. पाटन की हस्तलिखित प्रतियों की सूची १४१. पाणिनी व्याकरण १४२. पातञ्जल महाभाष्य १४३. पार्श्वनाथ चरित्र १४४. पासनाहचरिउ -पदमकीर्ति १४५. प्राकृत और अपभ्रंश साहित्य तथा उनका हिन्दी साहित्य पर प्रभाव -डॉ० रामसिंह तोमर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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