Book Title: Jain Jagat Utpatti aur Adhunik Vigyan Author(s): G R Jain Publisher: Z_Deshbhushanji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012045.pdf View full book textPage 2
________________ 2,000 ब्रह्म-चतुर्य गी =1 विष्णु-अहोरात्र 360 विष्णु-अहोरात्र =1 विष्णु-वर्ष 43,20,000 विष्णु-वर्ष =1 विष्णु-चतुर्युगी 2,000 विष्णु-चतुर्युगी =1 शिव-अहोरात्र 360 शिव-अहोरात्र =1 शिव-वर्ष 43,20,000 शिव वर्ष =1 शिव-चतुर्युगी 2,000 शिव-चतुर्युगी =1 परमब्रह्म अहोरात्र 360 पर मब्रह्म अहोर =1 परमब्रह्म-वर्ष 43,20,00 परमब्रह्मा वर्ष =1 परमब्रह्म चतुर्युगी 1,000 परमब्रह्म चतुर्युगी =1 महाकल्प 1,000 महाकल्प =1 महानकल्प 1,00,000 महान कल्प -1 परमकल्प 1,00,000 परमकल्प -1 ब्रह्म-कल्प उपर्युक्त परिमाण के अनुकूल गणित फैलाने पर एक 'ब्रह्मकल्प' के वर्षों की संख्या 77 अंक प्रमाण है [22 अंकों पर 55 शून्य (बिन्दु) लगाने से जो संख्या बनती है वह संख्या 'ब्रह्मकल्प' के वर्षों की संख्या है] । शुरू के अंक इस प्रकार हैं - 4852102490441335701504 जैनाचार्यों के अनुसार काल की गणना निम्न प्रकार से की गयी है। 100 वर्ष -1 शताब्दी 84 सहस्र शताब्दी या 84 लाख वर्ष -1 पूर्वांग 84 लाख पूर्वांग =1 पूर्व 84 लाख पूर्व =1 पर्वांग 84 लाख पर्वांग =| पर्व 84 लाख पर्व =1 नियुतांग 84 लाख नियुतांग =1 नियुत 84 लाख नियुत =1 कुमुदांग 84 लाख कुमुदांग =1 कुमुद 84 लाख कुमुद -1 पद्मांग 84 लाख पद्मांग =1 पद्म 84 लाख पद्म -1 नलिनांग (एक 'नलिनांग' की वर्ष-संख्या 22 अंक और 55 शून्य से मिल कर बनती है। 22 अंक इस प्रकार हैं 1469170321634239709184) 84 लाख नलिनांग -1 नलिन 84 लाख नलिन =1 कमलांग 84 लाख कमलांग = कमल 84 लाख कमल =1 त्रुत्यांग 84 लाख त्रुत्यांग =1 त्रुत्य 84 लाख त्रुत्य =! अटटांग 84 लाख अट्टांग -1 अटट 84 लाख अटट =1 अममांग 84 लाख अममांग -=1 अमम 84 लाख अमम =31 ऊहांग आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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