Book Title: Jain Dharmik Sahitya me Upman aur Upamey
Author(s): Amitabhkumar
Publisher: Z_Kailashchandra_Shastri_Abhinandan_Granth_012048.pdf

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Page 6
________________ २. आत्मा ३. जीव ४. कर्म ५. सम्यक्त्व ६. सम्यकरज्ञान ज्ञानी ८. संसार ९. शरीर १०. पुण्य ११. मोक्ष १२. कषाय १३. पाप १४. स्त्री १५. यौवन १६. विषय १७. बुद्धि १८. जरा, मरण १९. ध्यान २०. माया २१. मोह २२. राग २३. रोग २४. पुनर्जन्म २५. भक्ति २६. मृत्यु २७. वैराग्य २८. चरित्र २९. भावना ३०. संयम ३१. मुनि ३२. गृहस्थ. ३३. अज्ञानी ३४. मिथ्यात्व ३५. तप राजा, स्फटिकमणि, नमककी डली, ऊर्जा तिलमें तेल, दूध घी, काष्ठ में अग्नि चाक, शिल्पिक, लोहा कीट, विष, चक्र, बीज, शत्र मल, वज्र, ईधन, रज, जंजीर, राजा रत्न, जल, कोरा घड़ा, सूर्योदय, लक्ष्मी, चिन्तामणिमाणिक्यकिरण, मेरुपर्वत, हाथ, जड़, नींव जल, धन, सूर्य, शस्त्र, रथ, कुदाली, स्वर्ण, कीचड़में सोना, श्वेतशंख वन, लता, अंकुर, सागर, संताप, भँवर, वृक्ष घट, परिग्रह, शव, झोपड़ी, कुटी पैर महल, प्रिया योद्धा-शत्रु कलंक, धूलि, अन्धकार वृक्षोंका सघनवन, नागिन गहन ताल सुख, विष, विषपुष्प, समुद्र, गन्नेका छिलका नौका व्याधि, वेदना दीपक, कुठार महालता महावृक्ष वायु, झञ्झावात, पिशाच अग्नि . वृक्ष तैल हाथी, अग्नि संपदा जल, खङ्ग, अग्नि कुदाली संग्राम चन्द्र , भ्रमर, कुलपर्वत, समुद्र, आकाश तपे हुए लोहे का गोला। कीचड़में पड़ा हुआ लोहा कन्दमूल, मल, अन्धकार, मलिन वस्त्र अग्नि, सूपा, जीवन, समुद्रके रत्न, धौंकनी - २१२ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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