Book Title: Jain Dharm me Achelkatva aur Sachelkatva ka Prashna
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_3_001686.pdf
View full book text ________________ जैनधर्म में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न ( ब ) आवश्यकसूत्रं (उत्तरभाग) चूर्णि सहित ऋषभदेव, केशरीमल श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, 1929. 46. भगवती-आराधना, विजयोदया टीका, पृ० 326-327, पालित्रिपिटक, कन्कोर्डेन्स, पृ० 345. 47. भगवती-आराधना, भाग 1 ( विजयोदया टीका ), गाथा 157 की टीका, पृ० 205. 48. ( अ ) शाकटायन व्याकरणम् ( स्त्री-मुक्ति प्रकरणम् )-7, सम्पादक पं० शम्भुनाथ त्रिपाठी, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, वाराणसी, 1971, पृ० 1. ( ब ) बृहत्कल्पसूत्र 6/9, सम्पादक मधुकर मुनि, ब्यावर, 1992. 49. ( अ ) बृहत्कल्पसूत्र 6/20. ( ब ) पञ्चकल्पभाष्य ( आगमसुधासिन्धु ), 816-822. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 34 35 36