Book Title: Jain Dharm Vigyan ki Kasoti Par Author(s): Nandighoshvijay Publisher: Z_Jain_Dharm_Vigyan_ki_Kasoti_par_002549.pdf View full book textPage 1
________________ जैनधर्म विज्ञान की कसौटी पर ? विज्ञान जैनधर्म की कसौटी पर ? श्रमण भगवान महावीर : एक वैश्विक विज्ञानी श्रमण भगवान महावीर का जन्म ई. स. पूर्व 599 में उस समय के मगध | देश वर्तमान बिहार की राजधानी क्षत्रियकुंड नगर में हुआ था / उनके पिता का नाम सिद्धार्थ राजा और माता का नाम त्रिशला रानी था / उनका बचपन का नाम वर्धमान था / जब उनकी उम्र 28 साल की हुयी तब उनके माता पिता स्वर्गवासी हये / बाद में दो वर्ष बाद 30 वर्ष की उम्र में कार्तिक कृष्ण - 10 के दिन उन्होनें प्रव्रज्या ग्रहण की और आत्मसाधना का मार्ग लिया। __ साढे बारह साल की कठिनतम तपश्चर्या व आत्मसाधना के अंत में वैशाख शुक्ल -10 के दिन उनको परम आत्मज्ञान अर्थात् केवलज्ञान प्राप्त हुआ | उसी केवलज्ञान द्वारा समग्र विश्व के सभी पदार्थों के सभी पर्याय अर्थात् प्रत्येक पदार्थ के भूत-भविष्य और वर्तमान को प्रत्यक्ष देखते हुये वे तीर्थकर के रूप में प्रसिद्ध हुये / अंत में आश्विन कृष्ण - 30 [0))] दिपावली की शुभ रात्रि को वे अपने भौतिक शरीर का त्याग करके मोक्ष में गये / जैन परंपरा में तीर्थकर के भाव को आर्हन्त्य कहते हैं / यही आर्हन्त्य एक प्रकार की आत्मिक व पौद्गलिक शक्ति है / आत्मिक इसलिये कि तीर्थकर होने वाली आत्मा द्वारा पूर्व भव में भावित सकल जीवराशि का कल्याण करने की उत्कृष्ट भावना का यह परिणाम है, और पौद्गलिक इसलिये कि सकल जीवराशि का कल्याण करने की उत्कृष्ट भावना द्वारा प्राप्त तीर्थकर नामकर्म की पुण्याई का यह परिणाम है / कोई भी कर्म| 9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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