Book Title: Jain Darshan me Naitikta ki Sapekshata aur Nirpekshata
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_2_001685.pdf
View full book text
________________ जैनदर्शन में नैतिकता की सापेक्षता और निरपेक्षता : 133 19. विशेष द्रष्टव्य -- उत्तराध्ययनसूत्र, अध्याय 23 20. महावीर की प्रथम स्त्री शिष्या महासती चन्दनबाला की माता धारिणी के द्वारा अपने सतीत्व की रक्षा के लिए की गई आत्महत्या को जैन विचारणा में अनुमोदित ही किया गया है। इसी प्रकार महाराजा चेटक के बरा न्याय की रक्षा के लिए लड़े गये युद्ध के आधार पर उनके अहिंसा के व्रत को खण्डित नहीं माना गया है। 21. शर्मा, ईश्वरचन्द्र -- पाश्चात्य आचारशास्त्र का आलोचनात्मक अध्ययन, पृ0 139 22. (अ) अधिगत निशीथादिश्रुत सूत्रार्थ (ब) गीतो-विज्ञातो कृत्याकृत्य लक्षणोऽर्थो येन स गीतार्थः / - अभिधानराजेन्द्रकोष, खण्ड 3 23. आयं कारणं गादं, वत्थु जुत्तं ससत्ति जयणं च। सव्वं च सपडिवक्खं, फलं च विधिवं वियाणाह।। - बृहत्कल्पनियुक्तिभाष्य-951 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org