Book Title: Jain Darshan
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 636
________________ श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमालाके महत्वपूर्ण प्रकाशन १. मेरी जीवन-गाथा भाग १ : द्वितीय संस्करण (वर्णीजी द्वारा स्वयं लिखित ) ४-०० २. , , भाग २ , , ४-२५ ३. वर्णी वाणी : भाग १ (द्वितीय संस्करण ) (वर्णीजीके आध्यात्मिक संदेशोंका संकलन) ३-५० ४. " भाग २ ,, , , ४-०० भाग ३,, , , , अप्राप्य ६. , भाग ४ (वर्णीजीके अध्यात्मपूर्ण पत्रोंका संकलन) ३-५० ७. जैन साहित्यका इतिहास (पूर्वपीठिका) भाग १: पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्री (७५० पृष्ठों में लिखित जैन साहित्यका गवेषणापूर्ण अद्वितीय इतिहास-ग्रन्थ : पहलीवार प्रकाशित) १०-०० ८. जैन दर्शन (द्वितीय संस्करण):डा. महेन्द्रकुमारजी जैन (जैन दर्शनका सांगोपांग प्रामाणिक विवेचन ) ७-०० ९. पंचाध्यायी : मूल-पण्डित राजमल्लजी हिन्दी रूपान्तर-पं० देवकीनन्दनजी सिद्धान्तशास्त्री ( जैन तत्त्वज्ञानकी विवेचिका अद्वितीय मौलिक कृति ) ९-०० १०. श्रावकधर्मप्रदीप : मूल-आचार्य कुन्थुसागर महाराज हिन्दी-संस्कृत टीका-पं० जगन्मोहनलालजी शास्त्री ( श्रावकाचार-विषयक सरल और विशद रचना) ४-०० *


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