Book Title: History of Canonical Literature of Jainas
Author(s): Hiralal R Kapadia
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 266
________________ 1600/ 600/600/250/ 200/ 30/120/ 150/ QUR PUBLICATIONS Catalogue of the Manuscripts of Patan Jaina Bhandara Parts I, II, III, IV संकलन कर्ता-स्व० मुनिश्री पुण्य विजयजी; संपादक-मुनि जम्बूविजयजी Makaranda : M. A. Mehendale Amrita : A. M. Ghatage A History of The Canonical Literature of the Jainas A Treasury of Jaina Tales : Prof V. M. Kulkarni Concentration : Virchand Raghavji Gandhi पातञ्जल योगदर्शन तथा हारिभद्रीय योगविंशिका : संपादक-पं० सुखलालजी तत्त्वार्थाधिगम सूत्र (सभाष्य): श्रीमद् उमास्वाति प्रणीत, गुजराती अनुवाद धर्मरत्नकरण्डक : श्रीवर्धमान सूरि विरचित, संपादक-आ. मुनिचंद्र सूरि चन्द्रलेखा विजय प्रकरण : श्री देवचन्द्रमुनि प्रणीत, सं. आ. प्रद्युम्नसूरि शोधखोळनी पगदंडी पर : प्रो० हरिवल्लभ भायाणी उसाणिरुद्धं : ले. रामपाणिवाद; संपादक-वी. एम. कुलकर्णी मानतुंगाचार्य और उनके स्तोत्र : सं. : प्रा. मधुसूदन ढांकी और डॉ. जितेन्द्र शाह कल्पान्तर्वाच्य : लेखक-नगर्षिगणि (वि० सं० 1657), सं. प्रद्युम्नसूरि कवि समयसुन्दर : एक अभ्यास : लेखक : वसंतराय बी. दवे वीर निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना : मुनिश्री कल्याण विजयजी उपदेशमाला : दीनानाथ शर्मा शब्दचर्चा : डॉ. हरिवल्लभ भायाणी 250/ 50/150/70/ 130/ 50/ 125/ 100/ 100/ 40/ Jain Education International For Privarespersonase

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