Book Title: Hinduo me Jatigat Bhedbhav evam Dharmantaran
Author(s): Kishor Zaveriya
Publisher: Z_Ashtdashi_012049.pdf

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________________ परन्तु उनमें कोई लालच के कारण अपना धर्म नहीं छोड़ता। उनमें जातिगत भेदभाव नहीं होने से कोई धर्म नहीं छोड़ता। मुसलमानों अथवा ईसाइयों में से हिन्दू बनने वालों की संख्या नगण्य है। यदि कोई है तो उसे उंगलियों पर गिना जा सकता है। जबकि हिन्दुओं से मुसलमान अथवा ईसाई बनने वालों की संख्या लाखों में है जो आज करोड़ों में पैदा हो गये हैं। मुस्लिम धर्मान्तरण को तलवार से और ईसाई धर्मान्तरण को लालच से जोड़कर देखा जाता है, दोनों ही धर्म के मानने वाले हिन्दुस्तान में बाहर से आये थे, उन्हें हमारे यहां अपने आपको स्थापित करने के लिए हिन्दू नहीं बनना पड़ा। उल्टे हिन्दुओं की भेदभाव पूर्ण समाज व्यवस्था का फायदा उठाकर अपने धर्मावलम्बियों की वृद्धि की। क्योंकि उनके यहां पे जातिगत भेदभाव नहीं था। उनके यहां धर्मान्तरित होकर आये हिन्दू का स्वागत किया गया। हिन्दुओं में यदि कोई मुस्लिम लड़की से शादी करके आया तो तब की बात छोड़िये आज भी बवाल मच जाता है। हिन्दुओं में उसका स्वागत नहीं तिरस्कार किया जाता था। उसके परिवार के लोग या तो उसे घर से बेदखल कर देते थे या यदि रखा भी तो उसके हाथ का बना खाना खाना तो दूर उसके रसोई में घुसने पर भी पाबन्दी लगा देते थे। आज भी क्या हिन्दू इस मानसिकता में है कि यदि कोई मुस्लिम लड़की उनके परिवार में विवाह कर आये तो उसे हिन्दू बहू की तरह घर में सब कामकाज करने देंगे? महात्मा गांधी, महर्षि दयानन्द, ज्योति बा फूले एवं डा० भीमराव अम्बेडकर जैसे महापुरुषों के प्रयासों के कारण ही जातिगत भेदभाव में कमी आई और सरकार को ऐसे कानून बनाने पड़े जिसके कारण शहरों में काफी हद तक जातिगत भेद भाव समाप्त हो गया है परन्तु गांवों में आज भी जाति के आधार पर ही व्यक्तियों को जाना जाता है। हिन्दू धर्म की रक्षा करने वाले तथाकथित ठेकेदारों को समझना चाहिये कि उक्त महापुरुषों के कारण ही हिन्दुओं को हिन्दू धर्म में सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार प्राप्त हुआ है और धर्मान्तरण रुका है। पंजाब नेशनल बैंक, नीमच 0 अष्टदशी / 1180 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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