Book Title: Hindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna Author(s): Pushplata Jain Publisher: Sanmati Prachya Shodh Samsthan View full book textPage 2
________________ ग्रन्थ के सन्दर्भ में _ अध्यात्म की चरम सीमा की अनुभूति रहस्यवाद है। यह वह स्थिति है, जहाँ आत्मा विशुद्ध परमात्मा बन जाता है और वीतरागी होकर। 'चिदानन्द रस का पान करता है। प्रस्तुत ग्रन्थ "हिन्दी जैन साहित्य में रहस्यभावना" के 'अन्तर्गत व्यापक फलक पर रहस्य-चिन्तन और रहस्य भावना का विश्लेषण आठ परिवर्तों के अन्तर्गत प्रस्तुत किया गया है। जहाँ एक ओर ग्रन्थ में हिन्दी साहित्य के काल-विभाजन, उसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, आदिकालीन एवं मध्यकालीन जैन काव्य प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला गया है, वहीं दूसरी ओर रहस्यभावना के स्वरूप, उसके बाधक एवं साधक तत्त्वों का विवेचन करते हुए जैन रहस्य भावना का सगुण, निर्गुण, सूफी व आधुनिक रहस्यभावना के साथ तुलनात्मक । अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। प्रस्तुत तथ्य अध्ययन, आलोचना एवं गवेषणा से संयुक्त है। जैन-जैनेतर कवियों की रचनाओं का आलोड़नविलोड़न कर लेखिका ने जो निष्कर्ष दिये हैं वे प्रमाण पुरस्सर होने के साथ-साथ नवीन दृष्टि और चिन्तन लिए हुए हैं। आशा है प्रस्तुत ग्रन्थ हिन्दी काव्य की। रहस्यधारा को समग्र रुप से समझने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। ISBN - 84-85783-32-2 मूल्य : 1150.00 रुपयेPage Navigation
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