Book Title: Gyannidhi Kridalay
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1
________________ ज्ञाननिधि क्रीडालय । ज्ञाननिधि क्रीड़ालय नियमावली 1. इस खेल को दो से छह खिलाड़ी खेल सकते हैं. १ खेल में छह टिकट है, उन को खिलाड़ी समान रूप से बॉट लेवें । 3. हम ने 90 प्रश्नों के ।। वर्ग बनाये है । खिलाडी निर्णय कर लेवे कि उन्हें कौन से वर्ग के प्रश्नों के आधार से खेल खेलना है। ___4. निर्णायक अलग होना, आवश्यक है । 5. अंक लिखे हुए गोट को निर्णायक थैली में भरें तथा क्रमश: एक-एक निकाल कर बोर्ड पर उसो अंक के स्थान पर रखें । अकों का उन्चारण जोर से करें। खिलाड़ी अपने टिकट का अवलोकन करें। जिस के पास वह अंक हो, वह उस कम के प्रश्न का उत्तर देवें । जो सर्वप्रथम अपने सम्पूर्ण प्रश्नों का उत्तर देगा, वह विजेता घोषित किया जायेगा। यदि कोई भी खिलाड़ी सम्पूर्ण प्रश्नों का उत्तर न दे सकें, तो अधिक उत्तर प्रदाता विजयी होगा। 6. उपर्युक्त नियमावली में परिवर्तन करना हो, तो खिलाड़ी सर्वसम्मति से परिवर्तन कर सकते हैं। 7.यद्यपि प्रश्नो के ।। वर्ग हम ने दिये हैं । तथापि अन्य प्रश्नों को खिलाड़ी सर्वसम्मति से स्वीकृत कर सकते हैं । जैसे - जय, विजय और संजय खेल रहे हैं। तीनों ने दो-दो टिकट बाँट लिये ग्रंथ और ग्रंथकर्ता नामक वर्ग के प्रश्नों से दे तौनों खेल को खेलना चाहते हैं। जय के पास जो टिकट है, उन में एक निम्न प्रकार से है - 15 | 32 | 40 | | | 64 | 80 27 | 46 | 54 85 36 58 18 | 87 निर्णायक ने सारे अंक लिखे गोटों को थैली में डालकर एक गोट निकाली । गोट पर 87 अंक था । उस मे गोंट बोर्ड पर जहाँ 87 लिखा है, उस पर रख दी। फिर उस ने 87 अंक को घोषणा की। जय ने आरने पास 87 अंक होने की स्वीकृति दी । निर्णायक ने उसे 87 वा प्रश्न किया ! जय ने उत्तर दिया। इस तरह जो अंक जिस के पास होगा, वह उत्सर देगा। जिस के पास जो टिकट है, उस टिकट पर लिखे हुए सम्पूर्ण अंकों का जा सर्वप्रथम उत्तर देगा. वह विजेता शाषित किया जायेगा मुनि सुविधिसागर

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