Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02 Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर भरी हुई थी । अनेक दीक्षाएँ आपने कराई । तन, मन, धन से साधुसतियों की सेवा करने में आपको अपूर्व आनंद मिलता था । आपका स्वर्गवास जल्दी ही हो गया था। स्व. लाला धनोमलजी की धर्मपत्नी एवं श्रीमती नगीनादेवीजी की माता श्री फूलमतीजी महाराज साहब को जैनदीक्षा अंगीकार किये हुए ३१ वर्ष हो गये हैं। आप वयोवृद्ध, सरलस्वभावी, घोरसंयमी (कठिन संयम पालने वाले) हैं, मानो चौथे आरे की बानगी ही हो । अनेक वर्षों से आप दिल्ली में स्थवि. रवास किये हुए हैं। आपके सदुपदेश से दिल्ली के अनेक व्यक्ति अपनी शास्त्रो. दारसमिति के सदस्य बने हैं। श्रीमती नगीना देवीकी भांति उनकी पुत्री सुश्री विजयकुमारी बड़ी निर्भीक प्रत्युत्पन्नमति, एवं धार्मिक रुचि वाली हैं। आपके सुपुत्र सरलस्वभाव विनयशील श्री महताबचंद भी बड़े धर्मनिष्ठ, समाजसेवी, विनयवान एवं मुशिक्षित नवयुवक हैं। श्रीमती नगीनादेवीके दो पुत्रियाँ और भी हैं। एक-सुश्री विनयकुमारी, जिसका विवाह जोधपुरनिवासी श्रीमान् हुक्मचंदजी साहब जैन एडवोकेटके सुपुत्र श्री जिनेन्द्रकुमारजी जैन एडवोकेट से हुआ है। चि० अनिलकुमार जैन, जिनका चित्र इस पुस्तक में है-इन्हीं के सुपुत्र हैं। श्री अनिलकुमार अपनी समिति के सदस्य हैं । दूसरी पुत्री सुश्री विमलकुमारी का विवाह दिल्लीनिवासी प्रसिद कांग्रेसी कार्यकर्ता स्व. श्री मुकुन्दलालजी जौहरी " कोमीनारा" ( यह उपनाम प्रधान मंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें दिया था) के सुपुत्र श्री हुक्मचंदजी जौहरीके साथ हुआ है । श्रीमती विमलकुमारी भी अपनी समितिकी सदस्या हैं। परंपरा से ही चौरडिया परिवार धार्मिक प्रवृत्तियों में रुचि रखनेवाला रहा . है और चुस्तस्थानकवासी हैं । तन मन व धन से समाज व धर्म की खूब सेवा करता आया है, यही सदा से इस परिवार का कर्तव्य रहा है । ॥ॐ शांतिः॥ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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