Book Title: Essence of Jainism Part 01
Author(s): Kushalchandravijay
Publisher: 108 jain Tirth Darshan Trust

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Page 163
________________ - - ऊँ ह्रीं श्रीं परम पुरुषाय-परमेश्वराय-जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्रीमते जिनेन्द्राय पुष्पं यजामहे स्वाहा. (4) Dhup Puja (Incense) : King Vinayandhara got liberation in his 7th birth by Dhup Puja. Recite the verse : ४. ध्यान घटा प्रगटावीए, वाम नयन जिन धूप, मिच्छत दुर्गंध दूर टले, प्रगटे आत्मस्वरुप. ॐ ह्रीं श्री परम पुरुषाय-परमेश्वराय-जन्म जरा मृत्यू निवारणाय, श्रीमते जिनेन्द्राय धुपं यजामहे स्वाहा. (5) Dipak Puja (Lamp worship) : Two female friends Jinamati and Shivashri got liberation by doing this worship. Recite the verse ५. द्रव्य दीप सुविवेकथी, करतां दुःख होय फोक, भाव प्रदीप प्रगट हुवे, भाषित लोकालोक. ऊँ ह्रीं श्री परम पुरुषाय-परमेश्वराय-जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं यजामहे स्वाहा. (6) Akshat Puja (Rice worship) : A man and a parrot couple crossed this worldly ocean by doing this Puja : (Recite the verse) ६. शुद्ध अखण्ड अक्षत ग्रही, नंदावर्त विशाल, पूरी प्रभु सन्मुख रहो, टाली सफल जंगाल. ऊँ ह्रीं श्रीं परम पुरुषाय-परमेश्वराय-जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्रीमते जिनेन्द्राय अक्षतं यजामहे स्वाहा. (7) Naivedya Puja (Sweets worship) : King Hali got liberation in his seventh birth by doing this Puja. Recite the verse. ७. अणाहारी पद में कर्या, विग्गह गइय अनंत, दूर करी ते दीजीए, अणाहारी शिव संत. ऊँ ह्रीं श्री परम पुरुषाय-परमेश्वराय-जन्म जरा मृत्यु निवारणाय, श्रीमते जिनेन्द्राय नैवेद्यं यजामहे स्वाहा. (8) Fal Puja (Fruit Worship) : A mena (Cacatoo), a parrot and Durgata woman got salvation by doing this Puja. Recite the verse : 90 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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