Book Title: Ekla Chalo Re
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Tulsi Adhyatma Nidam Prakashan

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Page 318
________________ तनाव क्यों ? निवारण कैसे ? ३०७ लोग बहुत जल्दी संभावना को समाप्त कर देते हैं और नकारने में बहुत रस लेते हैं । यह निषेध ओर नकार दोनों ही नहीं चाहिए । हमारी स्वीकृति आगे से आगे चली जाए। अगर हम संभावना को स्वीकार करते हैं तो कहीं अवरोध नहीं आता। यह बुद्धि की सीमा और उससे आगे नकारने की बात, इससे सारे भारत का दर्शन ही बदल गया । आत्मा नहीं है, कोई सामने नहीं है । परमात्मा नहीं है, कोई सामने नहीं है। न तो आत्मा से मिलने वाली शक्तियां मिल रही है और न परमात्मा से मिलने वाली शक्तियां मिल रही हैं, क्योंकि जब नकारते हैं तो फिर शक्तियां कहां से मिलेंगी ? स्वीकृति का जो नियंत्रण था, वह भी हमारे हाथ से चला गया । आज के युग के विद्यार्थी के सामने विज्ञान ने इतने सूक्ष्म तथ्य प्रस्तुत कर दिए कि अब केवल स्थूल तथ्यों को सोचने-समझने से काम नहीं चलेगा। आज 'माइक्रोफिल्म' की बात हो रही है। अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र में स्थान नहीं है कि जहां करोड़ों पुस्तकें रख सकें, सारी लाइब्रोरियां भर गई और अब भी पुस्तकें आ रही हैं तो अब क्या करें ? माइक्रोफिल्म की बात सोची गई । इतनी सूक्ष्म प्रतिलिपियां जिनसे जगह कम रुके, अवगाहन ज्यादा हो जाए । सूक्ष्म जगत् की इतनी घटनाएं हमारे सामने आ रही हैं, वहां हम स्थूल जगत् में ही न सोचें । यह निश्चित मानकर चलें कि बुद्धि से परे अनन्त सचाइयां हैं । हमारी बुद्धि उन्हें नहीं पकड़ सकती। आस्था पर हम आ जाते हैं तो तनाव को कम करने की बहुत सहज सामग्री हमें उपलब्ध हो जाती है, विचार के स्तर पर भी, भावना के स्तर पर भी और शारीरिक स्तर पर भी और यदि हम सीमा मानकर बैठ जाएं कि बुद्धि के परे कुछ भी नहीं है, 'मैं सोचता हूं', वही सत्य है, तो तनाव को विकसित होने का बहुत अवसर मिलेगा। ___ तनाव-विसर्जन के कुछ वैचारिक कारण हैं, कुछ भावनात्मक कारण हैं और उनके साथ जुड़ा हुआ है सूक्ष्म सत्य का स्वीकार । भारतीय विद्यार्थी में एक नयी आस्था का निर्माण होना चाहिए । यह कोई अंधविश्वास नहीं है, अंधश्रद्धा नहीं है । अंधश्रद्धा को तो मैं स्वीकार नहीं करता । कुछ लोग कहते हैं कि पहले श्रद्धा होती है, बाद में ज्ञान होता है। मैंने इसका खंडन किया है कि पहले ज्ञान होता है और ज्ञान के बाद श्रद्धा होती है । पहले श्रद्धा होती नहीं । श्रद्धा कैसे होगी ? नयी आस्था का निर्माण होना चाहिए और वह यह है कि सत्य बुद्धि तक सीमित नहीं है । उससे परे बहुत है । बुद्धि में समाने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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