Book Title: Dhatu Sangraha
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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्सर्ग प्रकरण. 35. श, ष, स, ए अक्षरोमां मळेला य, र, व, श, ष, स एटला अक्षर होय तो ते लोपाय अने तेनी आद्यना स्वरने दीर्घता थाय छे. शनो य-नश्यति = नस्सइ = नासे. शनो र--विश्राम्यति = वीसमह = वीसभ. शनो व-पार्श्व ___= पासं = पासुं. षनो य-मनुष्यः = माणूसो = भाणुस. षनो र-घर्षति = घासइ = धासे. सनो य-त्रस्यति = तासइ = त्रास. सनो र-विश्रभः = वीसंभो = पीसंमो ( विश्वास ) सनो स-निस्सारः = नीसारो = नीसा२. टीका-माकृत भाषामां तो उपर कहेला नियममाज संयुक्त अक्षरमाथी एक अक्षर जतां पूर्वस्वरने दीर्घता थाय छे पण गूर्जर भाषामां तो घणाज संयुक्ताक्षरमां एक जता पूर्व खरने दीर्घता थाय छे उ०. सं० कर्म धर्म उत्पलं दुग्धं सप्त आर्द्र प्रा० कम्म धम्म उप्पलं दुद्धं सत्त अदं નું કામ ઘામ ઉપલું દૂધ સાત આદું 36. शय्या आदिक शब्दोमा आदि अकारनो एकार थाय छे. सं० शय्या वल्ली उच्चारः उत्करः प्रा० सेज्जा वेल्ली उच्चरो उकेडो गु से पेय जये। (वि) से (१४२से ). 37. संयुक्त अक्षर होय तेनी पूर्वनो स्वर दीर्घ होय तो माकृतमा हस्त्र थाय छे. पछी गूर्जर भाषामां तो पूर्व खरने दीर्घता थाय छे. सं० कार्य खाद्यं वाद्यं बाष्पः वार्दलं प्रा० कज्ज खजं बज बप्फो बद्दलं To કાજ ખાછું વાજું બાફ વાદલું 38. आदि इ कारनो संयोगपासे होय तो ए कार थाय छे. पिंडः = पेंडो = डो. तित्तिरिः= तेत्तरो = तेतरो. 39. निर् उपसर्गनो र जाय अने नि ना इकारने दीर्घता थाय. निःसरति = नीसरह = नीसरे. For Private And Personal Use Only

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