Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 2
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 5
________________ अपने अतीत की गौरवमयी गाथा और नियामक सूत्रों का निर्देश और सन्देश प्राप्त करते हैं। विद्वान् लेखक ने बड़े मनोयोग और श्रम से इस ग्रन्थ का प्रणयन किया है। इसे एक तरह से हिन्दू जाति का विश्वकोश कहें हैं तो अन्यथा न होगा। इसमें लेखक ने धर्म, धर्मशास्त्र, जाति, वर्ण, उनके कर्तव्य, अधिकार, संस्कार, आचार-विचार, यज्ञ, दान, प्रतिष्ठा, व्यवहार, तीर्थ, व्रत, काल आदि का विवेचन करते हुए सामाजिक परम्परा और उसकी उपलब्धियों का विस्तृत और आवश्यक विवरण प्रस्तुत किया है। वेद, उपनिषद स्मृति, पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रन्थों से संकेत, सूत्र और सन्दर्भ एकत्र करना कितना कठिन है, इसकी कल्पना की जा सकती है। प्रस्तुत पुस्तक इसी 'धर्मशास्त्र का इतिहास' का दूसरा भाग है। इस दूसरे भाग का द्वितीय संस्करण प्रस्तुत करते हुए हमें सुख और संतोष का अनुभव हो रहा है। हिन्दी समिति को इस बात की प्रसन्नता है कि इस महनीय ग्रन्थ का हिन्दी के पाठकों और विद्वानों ने समुचित स्वागत किया है। 'धर्मशास्त्र का इतिहास' पाँच भागों में प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके तीन भाग प्रकाशित हो चुके हैं और शेष दो भाग शीघ्र ही, इस मास के अंत तक, उपलब्ध हो जायेंगे । इन सभी भागों की एक संयुक्त अनुक्रमणिका भी हम अलग पुस्तिका के रूप से प्रस्तुत करेंगे । यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि कागज की महार्घता और मुद्रण, वेष्टन आदि के दरों में पर्याप्त वृद्धि हो जाने पर भी हमने इसका मूल्य पूर्ववत ही रखा है । हमें विश्वास है, प्रचार और प्रसार की दृष्टि से हमारे इस आयास का स्वागत और समादर किया जायेगा । हमारी यह भी चेष्टा होगी कि हम इस प्रकार के महनीय ग्रन्थों का प्रकाशन उचित मूल्य पर ही अपने पाठकों को उपलब्ध करायें। हम एक बार पुनः हिन्दी के छात्रों, पाठकों, अध्यापकों, जिज्ञासुओं और विद्वानों से, विशेषतः उन लोगों से जिन्हें भारत और भारतीयता के प्रति विशेष ममत्व और अपनत्व है, यह अनुरोध करना चाहेंगे कि वे इस ग्रंथ का अवश्य ही अध्ययन करें। इससे उन्हें बहुत कुछ प्राप्त होगा। इससे अधिक कुछ कहा नहीं जा सकता। हमारी अभिलाषा है, यह ग्रंथ प्रत्येक परिवार में सुलभ और समादृत हो । सधन्यवाद । काशीनाथ उपाध्याय 'भ्रमर' वसन्त पञ्चमी, जनवरी ८, १६७३ ई० सचिव, 'राषि पुरुषोत्तमदास टण्डन हिन्दी भवन', हिन्दी समिति, उत्तर प्रदेश शासन महात्मा गाँधी मार्ग, लखनऊ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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