Book Title: Dhammapada 08
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna
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एस धम्मो सनंतनो
बुद्धत्व फलता है। मैं उस अंतर्यात्रा का आखिरी कदम उठा रहा हूं। और अब तुम मुझे खोज न सकोगे, इसके बाद तुम मुझे खोज न सकोगे। ___यही भगवत्ता की परिभाषा है। आदमी को खोज सकते हो, पशु-पक्षी को खोज सकते हो, सीमा है तो खोज सकते हो। जब असीम हो गया तो फिर कैसे खोजोगे?
फिर असीम की क्या खोज का कोई उपाय नहीं? नहीं, उपाय है। तुम भी असीम हो जाओ। बूंद अगर सागर को पाना चाहे तो एक ही उपाय है कि सागर में डूब जाए
और एक हो जाए। फिर बुद्ध को बाहर नहीं खोजा जा सकता, फिर तो तुम जब बुद्धत्व को उपलब्ध होओगे तभी खोज पाओगे। तुम उसी क्षण खोज पाओगे जब तुम भी अपना अता-पता खो दोगे। ___ यह अता-पता खो देना ही आवागमन से मुक्त हो जाना है। फिर न कोई आना है, न कोई जाना है। फिर शाश्वत में निवास है। फिर तुम्हें अपना घर मिल गया। उसी घर की तलाश है।
आज इतना ही।
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