Book Title: Dhammapada 01 Author(s): Osho Rajnish Publisher: Rebel Publishing House PunaPage 12
________________ स म स्या व्यक्ति के बाहर, बाहरी परिवेश में नहीं, बल्कि व्यक्ति के भीतर ही | निहित है— व्यक्ति स्वयं ही समस्या है, इस तथ्य की घोषणा करने वाले गौतम बुद्ध पहले मनोवैज्ञानिक हैं । परंतु इससे भी बढ़कर और क्रांतिकारी सूत्र उन्होंने यह दिया कि मार्ग ही मंजिल है – मंजिल, मार्ग से हटकर, मार्ग से बाहर, कहीं किसी विशेष स्थान पर नहीं है। इसलिए ही उन्होंने इस सत्य को हमें दिखाया कि समस्या का समाधान बाहर नहीं, व्यक्ति के भीतर है, और मार्ग पर लिया जानेवाला प्रत्येक कदम, होशपूर्वक लिया गया कदम, अपने आप में एक मंजिल है । धर्म अपने से बाहर नहीं, अपने आप तक पहुंचने की प्रक्रिया है। एस धम्मो सनंतनो । धम्मपद पर ओशो के प्रवचनों का विराट साहित्य, 'एस धम्मो सनंतनो', 12 खंडों में प्रकाशित होने जा रहा है। प्रथम खंड की प्रवचनमाला के वक्तव्यों में ओशो गौतम बुद्ध द्वारा बताए गए इस सत्य का पुनः स्मरण दिलाया है : 'अगर तुम दुखी हो तो अपने को कारण जानना, अगर सुखी हो तो अपने को कारण जानना । अपने से बाहर कारण को मत ले जाना । वही धोखा है । इसको ही मैं धार्मिक क्रांति कहता हूं। जिस व्यक्ति ने अपने जीवन के सारे कारणों को अपने भीतर देख लिया, वह व्यक्ति धार्मिक हो गया ।... यात्रा किसी और तक पहुंचने की नहीं है, यात्रा अपने तक ही पहुंचने की है । ... . यात्री भी तुम हो, यात्रा भी तुम हो; यात्रा का लक्ष्यPage Navigation
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