Book Title: Devta Murtiprakaranam tatha Rupmandanam
Author(s): Upendramohan Sankhyatirtha
Publisher: Metropolitan Printing and Publishing House Limited

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Page 331
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra शब्दाः अक्षमाला अक्षसूत्र अघोर अड्डश अङ्गार अङ्गुष्ठ अण्डज अतसी अनिरुद्ध अनुलेपन नान्तरीयक अपसव्य अभय अर्धनारीश्वर अष्टलोह आमलकी उपवीत उसा उल्का उष्णीप ऋण कज कटिसूत्र कन्द www.kobatirth.org १४४, १४५,१४६ देवतामूर्त्तिप्रकरणस्य शब्दसूची *:-- पत्राङ्काः कपाल ६१,६२,६५,९३,१०१,१४९ ५९,६१,६२,६४,९९,१००,१०१, कपालिन् १०२,१०३,१०४,१३७,१४०,१४१, कमण्डलु ९८ कला ६१,६४,७१,९४,१०३,१०४,१३७, शब्दाः १३८,१३९,१४० कल्पान्त कार्तिकेय ६९ कालिका १६५ कांस्य ५१ | किन्नर ९८ कुक्कुट ७९,८० कुण्डल ९७,९८ कुण्डिका ८० कुमार ६४,६९,९६,१४७,१५१,१५२ | कृष्णाजिन ९७,९९ | केतु संस्थान १०० केयूर २१,१०५ | कैरव ७८ | कोल्लापुर ८९ १००, १४४ क्षिप्रगणाधिप २६ क्षेत्रपाल ९८ खटाङ्ग ११७ खड्ग १५७ खर्वट क्रर ( ९८ खात १२४ | खेट Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९४,१०२, १०३,१४४, १४५,१४६,१६१ For Private And Personal Use Only पत्राङ्काः ९९,१००,१०३,१४९ ९९ ५९,६१,६३,६५,७१,७२,८९ ४४ १६८ १५२ ४७ १० १३९ ७२ ९७,९८,१००,१०१,१४७ ९९ १०१ ८९,१६१ ६७ ७१,१०२ २३ १६४ ११८ १५० १५६ ९९,१००,१०२,१०३,१०४ ९८,९९,१०३,१०४ १५३ १२४ ९४

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