________________ avir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Serving Jin Shasan 050111 gyanmandir@kobatirth.orgs *************************************************** दश वैकालीक सुत्रना 10 अध्यन मुल अर्थ समाप्त की. रू 2 // मुंबइ मधे शा. खेतसी जीवराजे उपावी प्रसीध करया पुस्तक मलवान ठेकाणु दाणा* बंदर पुल नपर शेनीमजी शामजीनं नवो मालो बीजे दादरे बीजा जैन पुस्तक आचा रंग * तथा सुगमाग तथा उपाशक दशा तथा अंतगढ दशा तथा अणुतर नवाइ तथा बुटा 6 अध्यन - तेमा बुटी गधायो वगरे तथा सोल सप्नाए सर्वे मुल अर्थ सहीत ले तथा ग्रंथ रास तथा स्तवन सजाय श्लोक लावणी गुहली मान नाजी जंबु धीप अढी धीप तथा नरक सरगना चीत्र उहा * सहीत तथा आलोयणी 57 थोकमा गोत्म प्रशन वगरे अमारा पासे आव्याथी तथा बाहार गाम वालाने समाचार लखवाथी मालम पमशे नाटपेट कागल लेवामा आवशे नही सा० 151 * माहा सुद 15 राज्यनक्त प्रेसमा उपावो गपनारे सरकारना धारा प्रमाणे दक्क राखो . ************************ * न For Private and Personal Use Only