Book Title: Dashvaikalik Sutram
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
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________________ श्रीदशवैकालिक श्रीहारि० वृत्तियुतम् // 442 // महत्तराया याकिन्या, धर्मपुत्रेण चिन्तिता। आचार्यहरिभद्रेण, टीकेयं शिष्यबोधिनी // 1 // दशवैकालिकटीकां विधाय यत्पुण्यमर्जितं तेन / मात्सर्यदुःखविरहाद्गुणानुरागी भवतु लोकः // 2 // // इति श्रीमच्छय्यम्भवसूरीश्वरसूत्रितं श्रीमद्भद्रबाहुविरचितनियुक्तियुतं याकिनीमहत्तरासूनुसूरिपुरन्दर-श्रीमद्धरिभद्रसूरिविरचिता सचूलिकदशवैकालिकबृहद्वृत्तिव्याख्या समाप्ता॥ // 442 //

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