Book Title: Chobis Tirthankar
Author(s): Rajendramuni
Publisher: University of Delhi

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Page 221
________________ परिशिष्ट तीर्थंकरों के मध्य अन्तराल विवेच्य अवधि अन्तराल-काल 90 , 9 भगवान ऋभदेव का निर्वाण : तीसरे आरे के 3 वर्ष साढ़े आठ मास शेष रहने की स्थिति में1 ऋषभदेव व अजितनाथ के मध्य 50 लाख ___ करोड़ सागर 2 अजितनाथ एवं संभवनाथ के मध्य 30 3 संभवनाथ एवं अभिनन्दननाथ के मध्य 10 4 अभिनन्दननाथ एवं सुमतिनाथ के मध्य 5 सुमतिनाथ एवं पद्मप्रभ के मध । ... 90 हजार " " 6 पद्मप्रभ एवं सुपार्श्वनाथ के मध्य 7 सुपार्श्वनाथ एवं चन्द्रप्रभ के मध्य 9 सौ , 8 चन्द्रप्रभ एवं सुविधिनाथ के मध्य १ सुविधिनाथ एवं शीतलनाथ के मध्य 10 शीतलनाथ एवं श्रेयांसनाथ के मध्य 66 लाख 26 हजार 1 सौ सागर कम एक करोड़ सागर ॥ श्रेयांसनाथ एवं वासुपूज्य के मध्य 54 सागर 12 वासुपूज्य एवं विमलनाथ के मध्य 30 13 विमलना एवं अनन्तनाथ के मध 14 अनन्तनाथ एवं धर्मनाथ के मध्य 15 धर्मनाथ एवं शान्तिनाथ के मध्य पौन पत्योपम 3 सागर 16 शान्तिनाथ एवं कुन्थुनाथ के मध्य अर्द्ध पल्य 17 कुन्थुनाथ एवं अरनाथ के मध्य 1 हजार करोड़ वर्ष कम पाव पल्य 18 अरनाथ एवं मिल्लनाथ के मध्य 1 हजार करोड़ वर्ष 19 मल्लिनाथ एवं मुनिसुव्रतना के मध्य 54 लाख वर्ष 20 मुनिसुव्रतनाथ एवं नमिनाथ के मध्य 21 नमिनाथ एवं अरिष्टनेमि के मध्य 5 22 अरिष्टनेमि एवं पार्श्वनाथ के मध्य 83750 वर्ष 23 पार्श्वनाथ एवं महावीर स्वामी के मध्य 250 वर्ष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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