Book Title: Chatra Asantosh kyo Author(s): B P Joshi Publisher: Z_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf View full book textPage 3
________________ छात्र असन्तोष क्यों 53 केन्द्रों तथा समाज की सभी सम्बन्धित इकाइयों को आवश्यक सहयोग देना होगा। छात्रों में व्याप्त असन्तोष के निवारण हेतु समाज के सभी लोगों को अपने-अपने कर्तव्य निभाने होंगे। विद्यार्थियों के असन्तोष को दूर करने के लिए शिक्षा क्षेत्र में 'कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा' ने अपने अथक परिश्रम से कार्य किया है। भगवान महावीर के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हए राणावास में विशेष विद्यार्थियों को सन्तोष प्राप्त हो, इसी प्रकार की शिक्षा दी जा रही है, बालक का सर्वांगीण विकास हो इसी दृष्टि को ध्यान में रखते हुए ये विद्याध्ययन केन्द्र खोले हैं। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। श्री सुराणाजी का जीवन एक कर्मयोगी, त्यागमूर्ति तथा कर्मठ समाज-सेवी प्रकाशमान जीवन रहा है। विद्याभूमि राणावास में आप द्वारा संस्थापित प्राथमिक शिक्षा से लेकर महाविद्यालयी शिक्षण तक की साधन सुविधाएँ आपके दृढ़ संकल्प का / प्रतीक है। शिक्षा के क्षेत्र में कई विद्यालय कार्य कर रहे हैं। परन्तु कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा का जो अभिनन्दन ग्रन्थ निकल रहा है वह वास्तव में बड़ा उपयोगी होगा। न बाहिरं परिभवे, अत्ताणं न समुक्कसे / सुयलाभे न मज्जिज्जा, जच्चा तवसि बुद्धिए // -दशवकालिक 8 / 30 बुद्धिमान किसी का तिरस्कार न करे, न अपनी बड़ाई करे / अपने शास्त्र ज्ञान, जाति और तप का अहंकार न करे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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