Book Title: Buddhi Ka Vaibhav Author(s): Aditya Prachandiya Publisher: Z_Mahasati_Dway_Smruti_Granth_012025.pdf View full book textPage 5
________________ बाजारी, तस्कर व्यापार, मिलावट, नापतौल में कमी, आय-विक्रय कर चोरी, बेईमानी, धोखेबाजी आदि को करके शीघ्र ही लखपति करोड़पति बन जाना बुद्धि का फल समझता है। आशय यही है कि अधिकांश जनता, फिर वह चाहे किसी भी वर्ग की हो, किसी भी प्रकार से हमारे पास धन आ जाए की बुद्धि से प्रेरित होकर बुद्धि का फल केवल धनोपार्जन करना मानती हैं। लेकिन बुद्धि का वास्तविक फल वस्तु तत्व का सही निर्णय करना है। यानी तत्व निर्णय करने ज्ञानार्जन करना और उसे परमार्थ में लगाना ही बुद्धि का फल है। बुद्धि का फल हिताहित कर तत्व का विचार करना है। प्रत्येक कार्य, प्रत्येक प्रवृत्ति और प्रत्येक व्यवहार में कल्याणकारी और अकल्याणकारी तत्वों का विचार करके कल्याणकारी तत्वों पर स्थिर हो जाना ही वास्तव में बुद्धि का फल है। मंगलकलश 394, सर्वोदय नगर, आगरा रोड़, अलीगढ़-२०२००१ (उ.प्र.) ___ मन को समाधि में स्थिर करने से एकाग्रता आती है ओर एकाग्रता आने पर सच्ची शांती और सुथ का अनुभव होता है। जिस प्रकार मनुष्यों को निद्रा लेना अनिवार्य है, रात्रि में अथवा दिन में वह निद्रा लेकर अपने शरीर को स्वस्थ रखता हैं। एक रात्री को अगर अनिंद्रा की अवस्था में गुजारी जाती है तो सारा शरीर बेचैनी का अनुभव करता है और जब पुनः वह निद्रा ले लेता है तभी हलकापन तथा शांति महसूस करता है और इसी प्रकार कुछ काम समाधिपूर्वक व्यतीत करने पर मन शांत होता है और वह एकाग्रता का अनुभव करता है समाधि का बार-बार अभ्यास करने पर मन को एकाग्र रहने की आदत पड़ जाती है और उनकी चंचएता खतम हो जाती है। इसे ही मन पर विजय पाना कहते हैं। 888838288000000000000000000000000000000RR SAI88856085088003808603380003283022688880666002SON556801580888888894802888858058883 * युवाचार्य श्री मधुकर मुनि (233) Jain-Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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