Book Title: Buddha aur Mahavir Author(s): Kishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain Publisher: Bharat Jain Mahamandal View full book textPage 8
________________ 'वैन भारता' मासिक पत्रिका में 'महावीर' अंश का.अनुवाद प्रकाशित हुआ था मुझे उससे बहुत सहायता मिली है। फिर भी अपनी कचि के अनुसार भाषा सम्बन्धी सशोधन करना मुझे आवश्यक प्रतीत हुआ। और फिर तो स्वय मशरूवालाजी ने भी उसे देख लिया है। बुद्ध मंश उन्होंने नहीं देखा है। उनके पर्यषण और महावीर-जयंती पर दिए गए दो भाषण भी जोड़ना आवश्यक प्रतीत हुआ। कारण 'बुद्ध और महावीर' में महावीर पर, ऐसा लगा कि जो लिखा गया है, वह अधूग-सा है. इसलिए यदि ये दो भाषन और जोड़ दिए जायें तो महावीर को समझने के लिए,पाठकों को कुछ और भी सामग्री मिल जायगी । पर यह भाषणों के अंश सब पाठकों को पढ़ने को नहीं मिलेंगे। जैन जगत के ग्राहकों को भेंट की बानेवाली प्रतियों में ये भाषण नहीं रहेंगे। जैन जगत ने सौ पृष्ठ देने का संकल्प किया था और वह इन भाषणों के बिना पूर्ण हो जाते हैं । पाठक हमारी विवशता को क्षमा करें। 'अहिंसा के नए पहाड़े' सर्वोदय से लिया गया है और 'महावीर का जीवन-धर्म' के अनुवाद को स्वयं मशरूबालाजी ने देख लिया है। दोनों भाषण हमारी सामाजिक जीवनचर्या पर मार्मिक प्रकाश डालते हैं। हम समझते हैं कि ये भाषण सामाजिक प्रवृत्तियों और धार्मिक तत्त्वोंके वर्तमान वैषम्य को बताकर हमारा उचित मार्गदर्शन कर सकते है।Page Navigation
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