Book Title: Bharatvarshiya Jain Digambar Directory Author(s): Thakurdas Bhagavandas Johari Publisher: Thakurdas Bhagavandas Johari View full book textPage 8
________________ (६) प्रस्तावना । देश पर्यटनमे वडीभारी सहायता मिलेगी । इसमें प्रत्येक रेलवे और उसके नजदीकके तीर्थक्षत्रों के नाम सूचनार्थ दिये गये है और प्रत्येक क्षेत्रके दर्शक मंदिर लाल स्याहीमें बताये गये है। __ऊपर कहे हुए अनुसार यह डिरेक्टरी मेरे प्यारे बंधुओंकी उन्नति करनेके लिये एक सुगम मार्ग है । तथापि ऐसे अमूल्य ग्रंथकी कीमत केवल गुणग्राही पुरुपोंको ही विशेष है। संपूर्ण भारतकी दिगम्बर जैनियोंकी वस्ती, उनकी प्राचीन और अर्वाचीन दशाका चित्र या क्षेत्रोंको बतानेवाला इस अमूल्य ग्रंथका मूल्य खर्च और परिश्रमके महत्वका विचार करनेसे मालूम होगा कि, सिर्फ रु० ८J रक्खा गया है जो केवल नाममात्र है। इस कामको संपूर्ण रीतिसे परिपूर्ण करनेके लिये और इस कामकी देखरेख रखनेके लिये दोशी माणिकचन्द रावजी सुपरिण्टेण्डेण्ट नियत किये गये थे, परन्तु कुछ अड्चनसे उन्होंने यह काम छोड़ दिया। उनके स्थानपर रा.भालचंद्र महादेवको सुपरिण्टेण्डेंट नियत किया, जिन्होंने हमारी आज्ञानुसार इस कामकी संभाल पूरे तौरपर रक्खी और देवरीनिवासी बाबू कुन्दनलाल जैन तथा जयपुर निवासी बाबू गुलाबचंद लहाड्या इन दो कर्मचारी गणोंकी मददसे यह महान् कार्य पूर्ण हुआ । उनके और जिन कर्मचारीगणोंने प्रांत प्रांतमे दौरा करके सर्व भारतके दिगंवर जैनियोंकी वस्तीवाले ग्रामोंकी हालतके फार्म और अन्यान्य महत्वकी रिपोर्ट भेजनेमें जो उत्साहपूर्वकसहायता दी उनके नाम ये हैं। मध्यप्रदेश राजपुताना और मालवा प्रांतकी डिरेक्टरीमें फतेपुर जिला दमोह निवासी बाबू तुलसीराम जैन खूबचन्द जैन और अन्य २ वालंटिअर । संयुक्तप्रदेश वंगाल और पंजाबकी बाराबंकी निवासी बाबू जुगमदरदास जैन । बम्बई आहाता (महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र और उत्तर कानहा ) और मैसूरप्रांतकी-वारसी निवासी श्रीयुत तात्या नेमिनाथ पांगल और अन्य दो कर्मचारीगण । कर्नाटक और मद्रासप्रांतकी-कुम्भकोणम् निवासी एस्. जयरामन् । उपर्युक्त कर्मचारीगणोंको तथा अन्य सद्गृहस्थोंको जिन्होंने प्रेमपूर्वक इस कामकी पूर्तिमें मुझे बड़ा योग दिया है उनको शतशः धन्यवाद दिये बिना इस भूमिकाको समाप्त नहीं कर सकता। मैं आशा करता हूँ कि इस वड़ेभारी कार्यमें कर्मचारीगणोंकी भूल तथा छपनके समय प्रूफ संशोधनमें जो त्रुटियां रही हों पाठक उनके लिये मुझे क्षमा करेंगे और उन त्रुटियोंको दूर करनेके लिये एक २ कार्ड भेजकर सहायता देंगे जिससे दूसरी आवृत्तिमें सुधारा हो जायगा । __जवेरी वजार वम्वई. आपका जातिसेवकसेठ माणिकचन्द पानावन्द जवेरी एंड को दु.नं.३४० ठाकुरदास भगवानदास जौहरी, वीर सं० २४४० सन् १९५४ ई. सेक्रेटरी दि. जैन डिरेक्टरीPage Navigation
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