Book Title: Bharatiya Tattvavidyana Ajod Vidwan ne Smarnanjali
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ अनुसंधान-१७ • 227 करी दे; अने मौनभावे जीवता होवा छतां तेमनी धाक एवी के कोई गप्पा मारतां लाखवार विचार करे. ___ आवा समर्थ विद्वान सद्गृहस्थनी चिरविदाय थतां जैन समाज हतो ते करतां वधु रांक बन्यों छे, निःशंक छे. जो के आ विद्वानने जैन संघे बहु स्वीकार्या नथी. जैन संघमां तेमनी छाप एक सुधारक अने नास्तिक तरीकेनी हती. खरेखर तो आवी छाप उपसाववामां आवेली एम कहेवू वधु ठीक गणाय. आपणा समाजनी अने धुरीणोनी एक खूबी ए छे के कोइ मुस्लिम के अजैन पटेल आदि व्यक्ति जो अचानक उपाश्रये आवे, देवदर्शन के गुरुवंदन जेवी प्रवृत्ति करे, के अट्ठाइ करे, तो आपणा हैयामां वधु पडतो अहोभाव उमटी आववानो, 'शासननी बलिहारी' अनुभवावा मांडवानी, अने जे ते साधु के आचार्य महाराजना पुण्य-प्रभावनां गीतो गवावा मांडवानां. ___ हवे मुस्लिम के पटेल कांई तेनो धर्म, तेनी मान्यता, तेना व्यवहारो छोडता नथी, छोडवाना पण नथी. छतां अमुक वखत कोईक गम्य के अगम्य कारणोसर आq बनी जाय तो समाजमां आनंद आनंद छवाई जाय. __ आनी सामे श्रीमालवणियानी वात जुओ : मूळे स्थानकवासी परंपरामां तेओनो जन्म. अनाथ आश्रममां उछेर. पछी पाछो स्थानकवासी साधुसंतो द्वारा ज्ञानाभ्यास. आटली भूमिका पछी पोतानी लायकात अने समाजना मोभीओनी परखशक्तिना प्रतापे शांतिनिकेतन सहित विविध स्थळोए अध्ययन करीने जैन विद्वान तरीके अधिकारी बन्या. पण ते पछी मूर्तिपूजानी यथार्थता अने मुहपत्ति बांधवानी अयथार्थता आ बे वात तेमणे सौ पहेलां स्वीकारी. मुहपत्ति छोडवानी वात आ. तुलसी जेवाने मोढामोढ करी पण पोतानी जन्मजात परंपराने ज प्रहार करवानी तेमनी आ हिंमत के क्षमताने आपणे क्यारेय समजवानो तथा नवाजवानो विचार सुद्धां को खरो ? ___ वर्षोना तेमनी साथेना निकटना परिचयने परिणामे तेमनामां जोवा मळेला मुख्य सुभग तत्त्वो आ हतां : अनाग्रह, समभाव, खराब करनारनुं पण भलं करवानी वृत्ति, पोतानी भूल स्वीकारवानी तत्परता, मानवीय संवेदनशीलताथी छलकातुं हृदय, ज्ञान अने सत्य प्रत्येनी अनहद निष्ठा वगैरे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7