Book Title: Bhagwan Mahavir tatha Mansahar Parihar
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 198
________________ अर्थ करके सुज्ञ विद्वान अपने कर्तव्य का पालन करें। सारांश यह है कि सूत्रपाठों का विपरीतार्थ करने से बहुन बातें विपरीत हो जाती हैं। किसी बात का समाधान होना तो दूर रह जाता है, परन्तु कई प्रकार की उलझनें उपस्थित हो जाती हैं। भगवतीसूत्र के इस विवादास्पद सूत्रपाठ का विपरीतार्थ करके अध्यापक कोसाम्बी जी, पटेल गोपालदास तथा उन के अनुयायी विद्वानों ने अपनी विद्वत्ता को बट्टा लगाया है। क्योंकि भगवान महावीर के रोग में ली जाने वाली औषध का मांसपरक अर्थ चिकित्सा शास्त्र, निग्रंथ आचार-विचार, श्रमण भगवान महावीर की जीवनचर्या, समय, परिस्थिति आदि सब के प्रतिकूल है । अधिक क्या लिखे ?। इस विवेचना से विद्वान पाठकगण समझ सकेंगे कि इस सूत्रपाठ का वर्तमान कालीन अर्थ करके गोपालदास पटेल तथा अध्यापक धर्मानन्द । कोसाम्बी ने कसी अक्षन्तव्य भूल की है ? | । अतः भारत सरकार की “साहित्य एकादमी" को चाहिये कि वह कौसएम्बीकृत "भगवान बुद्ध" नामक पुस्तक को सदैव के लिये अशान्तिजनक घोषित कर जप्त करे। इसी मे भारतसरकार की प्रतिष्ठा निहित है । सनेषु कि बहुना। -

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