Book Title: Bhadrabahu Sambandhi Kathanako ka Adhyayan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_4_001687.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ २२ ३०. णंदी व दिमित्तो बिदिओ अवराजिदो तइज्जो य । गोवद्धणो चउत्यो पंचमओ भदबाहुति । —तिलोयपणत्ति, ४ / १४८२. ३१. (अ) बृहत्कथाकोश (हरिषेण), कथानक १३१, श्लोक ४५-८१. (ब) भावसंग्रह ( देवसेन), गाथा ५२ - ७०. टिप्पणी-- ज्ञातव्य है कि जहाँ हरिषेण ने शमिल्ल, स्थविर एवं स्थूलभद्र नामक तीन आचार्यों का भद्रबाहु के शिष्य के रूप में उल्लेखित किया है, वहाँ भावसेन ने मात्र शान्त्याचार्य का उल्लेख किया है। इस प्रकार दोनों कथानकों में नामों के सम्बन्ध में अन्तर्विरोध है । ३२. निज्जवण भद्दगुत्ते वीसुं पढणं च तस्स पुव्वगयं । पव्वाविओय भाया रक्खिअखमणेहिं जणओ अ ।। 17 आवश्यकनिर्युक्ति, गाथा ७७६. ३३. बृहत्कथाकोश, कथानक १३१, श्लोक ६२. ३४. जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय, सागरमल जैन, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, पृ० ४४-४५ एवं ३६३. ३५. (अ) भद्रबाहु - चाणक्य- चन्द्रगुप्त कथानक, रइधू, १७, १८, २१, २२, २३. (ब) भद्रबाहुचरित्र, रत्ननन्दी, परिच्छेद ३, श्लोक ५६-८४. ३६. जैनधर्म का मौलिक इतिहास, पृ. ३२६-३२७, ३४३-३४४. ३७. भद्रबाहु - चाणक्य- चन्द्रगुप्त कथानक, प्रस्तावना, पृष्ठ ५-६ एवं ९ - १२. ३८. जैनशिलालेखसंग्रह, भाग २, लेख क्रमांक ९६. ३९. देखें (अ) कल्पसूत्र स्थविरावलि में विस्तृत वाचना उल्लेखित शिवभूति के शिष्य काश्यपगोत्रीय आर्यभद्रगुप्त और गौतमगोत्रीय आर्यभद्र । .... (ब) आचार्य भद्रान्वयभूषणस्य .. - जैनशिलालेखसंग्रह, भाग-२, पृ०५७. ४०. (अ) थेरस्स णं अज्ज सिवभूइस्स कुच्छगुत्तस्स अज्ज भद्दे थेरे अंतेवासी कासव | रस्स अज्ज कालए गोयमगुत्तस्स इमे दो थेरा- थेरे अज्जसंपलिए थेरे अज्ज भद्दे । थेरे अज्ज जेहिल्लस्स अज्ज विण्हू धेरे । – कल्पसूत्र स्थविरावली, - २०-२७. Jain Education International (ब) ततो वंदे य भद्दगुत्तं । वड्डउ वायगवंसो रेवइनक्खत्त नामाणं- नन्दिसूत्र, स्थविरावली, ३१, ३५. ४१. सद्धर्मकरणपरस्य श्वेतपट्टमहाश्रमण संघस्य । जैनशिलालेखसंग्रह, भाग-३, --- For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23