Book Title: Balbodh Pathmala 3
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Maganmal Saubhagmal Patni Family Charitable Trust Mumbai

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Page 30
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates अध्यापक छात्र अध्यापक • बताया था न, कि जो सब द्रव्यों में न रहकर अपने-अपने द्रव्यों में ही रहते हैं वे विशेष गुण हैं। जैसे जीव के ज्ञान, दर्शन, चारित्र, सुख प्रादि। पुद्गल में स्पर्श, रस, गंध, वर्ण आदि। द्रव्य, गुण, पर्याय के जानने से लाभ क्या है ? — - • हम तुम भी तो जीव द्रव्य हैं, और द्रव्य गुणों का पिण्ड होता है, अतः हम भी गुणों के पिण्ड हैं। ऐसा ज्ञान होने पर " हम दीन गुणहीन हैं ” – ऐसी भावना निकल जाती हैं; तथा मेरे में अस्तित्व गुण है अतः मेरा कोई नाश नहीं कर सकता है, ऐसा ज्ञान होने पर अनंत निर्भयता आ जाती है । ज्ञान हमारा गुण है, उसका कभी नाश नहीं होता। अज्ञान और ग-द्वेष आदि स्वभाव से विपरीत भाव ( विकारी पर्याय) हैं, इसलिए आत्मा के आश्रय से उनका प्रभाव हो जाता है। राग प्रश्न - १. द्रव्य किसे कहते हैं ? २. गुण किसे कहते हैं ? वे कितने प्रकार के होते हैं ? ३. सामान्य गुण किसे कहते हैं ? वे कितने हैं ? प्रत्येक की परिभाषा लिखिए । ४. विशेष गुण किसे कहते हैं ? जीव और पुद्गल के विशेष गुण बताइए । ५. पर्याय किसे कहते हैं ? ६. द्रव्य, गुण, पर्याय समझने से क्या लाभ है ? २७ Please inform us of any errors on rajesh@Atma Dharma.com

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