Book Title: Apbhramsa me Mahakavi Swayambhu Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_4_001687.pdf View full book textPage 9
________________ 116 सन्दर्भ 1. एह रामकह-सरि सोहन्ती। गणहरदेवहिं दिट्ठ वहन्ती। पच्छह इन्दभूह आयरिएं। पुणु धम्मेण गुणाालंकरिएं।। पुगु पहवें संसाराराएं। कित्तिहरेणं अणुत्तरवाएं। पुणु रविसेणायरिय-पसाएं। वुद्धिएं अवगाहिय कइराएं। - पउमचरिउं१/६-९। 2. संयभू पदडीबद्धकर्ता आपलीसंघीय। - महापुराण (टिप्पणयुक्त) पृष्ठ 9 / 3. जैन साहित्य और इतिहास, पृष्ठ 197 / पउमचरिउं, सं०-डॉ० हरिवल्लभ भयाणी, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक 34, भूमिका (अंग्रेजी), पृ० 13 / 5. वही, पृ० 9 / / 6. स्वयंभू पावंडीबद्ध रामायण कर्ता आपीसंघीय। -- महापुराण, १/९/५टिप्पण। 7. पउमचरिउं, सं०डॉ० हरिवल्लभ भयाणी, भूमिका (अंग्रेजी) पृ० 13-15 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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