Book Title: Apbhramsa Bharti 1996 08
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Gopichand Patni
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
View full book text ________________
अपभ्रंश भारती 8
स्वस्थ होगा, अहिंसा, दया, करुणा, मैत्री, मानवता आदि सात्विक भावों का उदय होगा। अपराधवृत्ति, राष्ट्रद्रोह जैसे अनैतिक कार्यों से विरत हो सकेंगे, पर्यावरण विशुद्ध, संतुलित एवं संरक्षित होगा तथा सभी सदाचारयुक्त, सुख-शान्तियुक्त जीवन जी सकेंगे।
80
1. करकण्डचरिउ, मुनि कनकामर, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली, 9.19.19 । 2. वही, 9 /2 / 16-18।
3. व्यसन मुक्ति का आह्वान, ऐलक श्री सिद्धान्तसागर, पृष्ठ 17-18।
4. वही, पृष्ठ 241
5-6-7. 'तीर्थंकर' (मासिक), डॉ. नेमीचन्द, मार्च 96, पृष्ठ 13-14 1
मील रोड
गंजबासोदा, म.प्र. पिन -
464221
Loading... Page Navigation 1 ... 91 92 93 94