Book Title: Antagadanuttarovavaiyadasao
Author(s): M C Modi
Publisher: Gurjar Granth Ratna Karyalay
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सन्दगंधेहिं सव्वमल्लेहि सव्वोसहिहि य सिद्धत्थएहि य सविड्डीए सव्वजुईए सव्वबलेणं [जाव] दुंदुभिनिग्घोसणादियरवेणं महया महया रायाभिसेएणं अभिसिंचइ । नाया. १. १. leaf 67 (b).
32. 2. आलित्ते [जाव] धम्ममाइक्खिउं ।-See. अभय० on अंत. P 97. नाया० १. १. leaf 78 (b) आलित्ते णं भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, आलित्तपलित्त णं भंते ! लोए जराए मरणेण य । से जहानामए केइ गाहावई अ. गारंसि झियायमाणंसि जे तत्थ भंडे' भवति अप्पभारे मोल्लगुरुए तं गहाय आयाए एगंतं अवक्कमइ ।' एस मे णित्थारिए समाणे पच्छा पुरा हियाए सुहाए खमाए णिस्सेसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ, एवामेव मम वि एगे आयाभंडे इठे कंते पिए मणुण्णे मणामे एस मे नित्थारिए समाणे संसारवोच्छेयकरे भविस्सइ । तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाहिं सयमेव पव्वावियं सयमेव मुंडावियं सेहावियं सिक्खावियं सयमेव ओयारगोयरविणयवेणइयचरणकरणजायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं ॥
32.6-7. पव्वाइए [जाव संजमियव्वं ।'-नाया० १.१. leaf 94 (b) तए ण समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पव्वाइए [जाव] जायामायावत्तियं धम्मामाइक्खइ" एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं, एवं चिट्टियव्वं, एवं णिसीयव्य, एवं तुयट्टियव्व, एवं भुंजियवं, एवं भासियव्वं, उठाय उहाय पाणाणं भूयाण जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमियव्वं ।" ___32. 16. जस्सट्टाए कीरइ नग्गमावे [ जाव ] तमहें आरोहेइ । See अभयदेव on अन्त P. 17 where he has given full details. See ओव० 116.

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