Book Title: Anek Tattvatmak Vastaviktavad aur Jain Darshan Author(s): Mahendramuni Publisher: Z_Hajarimalmuni_Smruti_Granth_012040.pdf View full book textPage 1
________________ मुनि श्रीमहेन्द्रकुमार 'द्वितीय' बी० एस० सी० (Hons) अनेकतत्वात्मक वास्तविकतावाद और जैनदर्शन विश्व की चरम वास्तविकता एक नहीं अपितु अनेक हैं, यह अनेकतत्त्वात्मक वास्तविकतावाद है. विविध विचारधाराओं में यदि कोई विचारधारा जैनदर्शन के अधिक निकट हो, तो वह अनेकतत्त्वात्मक वास्तविकतावाद की है. इस विचारधारा में भी तत्त्वों के स्परूप, संख्या आदि को लेकर अनेक अभिप्राय प्रस्तुत हुए हैं. द्वैतवाद (Dualism) विश्व में दो तत्त्वों की सत्ता का प्रतिपादन करता है-जड़ और चेतन. अनेकवाद अनेक प्रकार के तत्त्वों का प्रतिपादन करता है. अनुभयवाद जड़ और चेतन के अतिरिक्त तीसरे ही प्रकार के तत्त्वों को विश्व की वास्तविकता मानता है. यहाँ पर हम केवल कुछ विशिष्ट दार्शनिकों और वैज्ञानिकों की विचारधारा की जनदर्शन के साथ तुलनात्मक समीक्षा करेंगे. आधुनिक दार्शनिकों में बर्टेण्ड रसेल की विचारधारा में अनेक तत्त्वात्मक वास्तविकतावाद का प्रतिपादन हुआ है. भौतिक पदार्थों के अस्तित्व को वे अनुभूति पर आधारित नहीं मानते. रसेल ने सभी प्रकार की आदर्शवादी और ज्ञात सापेक्षवादी विचारधाराओं का तार्किक ढंग से खण्डन किया है. बर्कले के अनुभववाद और प्लुतो के प्रत्ययों के सिद्धान्त की भी उन्होंने तर्कपूर्ण रीति से धज्जियां उड़ाई हैं. ज्ञान में मानसिक विश्लेषण की दृष्टि से रसेल ने एक नये प्रकार के वास्तविकवाद को जन्म दिया है. इसमें स्पष्ट रूप से माना गया है कि ज्ञेय पदार्थों का अस्तित्व ज्ञाता से सर्वथा स्वतन्त्र है. जैनदर्शन भी इस सिद्धान्त को स्वीकार करता है. इस प्रकार पदार्थों के वस्तु-सापेक्ष अस्तित्व को दोनों दर्शनों में स्वीकार किया गया है. बट्टैण्ड रसेल जहाँ पदार्थों के वास्तविक अस्तित्व को स्वीकार करते हैं वहाँ चैतन्य के अस्तित्व को भी स्वीकार करते हैं. अतः भौतिकवाद के भी वे विरोधी हैं. यहाँ तक तो उनका दर्शन, जैनदर्शन के साथ सामंजस्य रखता है. किन्तु इससे आगे वे मानते हैं कि विश्व की वास्तविकता 'अनुभय' अर्थात् जड़ और चेतन से परे तीसरे प्रकार के तत्त्व हैं. जिनको वे घटनाएं (Events) कहते हैं. इस प्रकार उनके अनुसार विश्व के सभी पदार्थ घटनाओं के समूह हैं. घटनाएं अपने आप में जड़ और चेतन दोनों से भिन्न हैं और आकाश काल के सीमित प्रदेश में स्थित हैं.' इन घटनाओं को वे स्वभावतः गत्यात्मक (Dynamic) मानते हैं तथा एक दूसरे से सम्बन्धित भी. 'घटना' के अर्थ को स्पष्ट करने के लिये उन्होंने लिखा है जब मैं 'घटना' के विषय में कह रहा हूँ, तो मेरा तात्पर्य किसी अनुभवातीत वस्तु से नहीं है. बिजली की चमक को देखना एक घटना है. मोटर के टायर को फटते सुनना अथवा सड़े अण्डे को सूघना या किसी मेंढक के शरीर की शीतता का अनुभव करना आदि घटनाएँ हैं.२ इन घटनाओं के परस्पर सम्बन्ध भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं, जिनके कारण उनका कोई समूह जड़ कहलाता है और कोई चेतन. इस प्रकार जड़ पदार्थों की घटनाओं के पारस्परिक सम्बन्ध चेतन पदार्थों की घटनाओं के सम्बन्धों से भिन्न हैं, यद्यपि दोनों में विद्यमान घटनाओं का स्वरूप एक ही है. १. एन० आउटलाइन आफ फिलोसोफी, पृ० २८७. २. वही पृ० २८७, ३. दर्शन-शास्त्र का रूपरेखा, पृ० १३१. HTTERPage Navigation
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