Book Title: Alpa Bahutvanu Dwarna Anu va prakar na
Author(s): Shantilal Bakhtawarmalji
Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf

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Page 1
________________ अल्पा बहुत्य नुद्वार ना, अठाणु ९८ प्रकार संकलनकर्ता मूथा शान्तिलाल बख्तावरमलजी मंत्री, श्री भूपेन्द्रसूरि साहित्यसमिति, आहोर... १. सर्व थकी थोड़ा गर्भज मनुष्य संख्याती कोडा कोडी प्रमाण १२. उससे सातमी नरक पृथ्वीना नारकी असंख्यात गुणा है। छे ते मोटे अल्प छ। घनीकृत लोकनी एक श्रेणीना असंख्यात भाग जीतने आकाश २. उससे मनुष्यनी स्त्री संख्यातगुणी अधिक छे एटले सत्यावीस प्रदेशनी राशि है उतनी संख्या में है। गुणी छे ए बोल मली अढी द्वीप माहेला एकसो ने एक क्षेत्रना १३. उससे छठी नरक पृथ्वीना नारकी असंख्यात गुणा है क्योंकि मनुष्यनी संख्या कहे छे नरकावासा ज्यादा है, क्योंकि उत्कृष्ट पापी जीवों से हीन (७९२८८१६२५१४२६४३३७५९३५४३९५०३३६) एटले पापी जीव ज्यादा होते हैं, इसलिए यहाँ पैदा होते हैं। सात क्रोड कोडा कोडी बाणु लाख कोडा कोडी कोडी १४. उससे सहस्त्रार देवलोकना देवता असंख्यात गणा है। अठ्यासी हजार कोडा कोडी कोडी एक सो कोडा कोडी कोडी बासठ कोडा कोडी कोडी एकावन लाख कोडा १५. उससे महाशुक्र देवलोकना देवता असंख्य गणा है. क्योंकि कोडी बेतालीस हजार कोडा कोडी ससो कोडा कोडी वहाँ विमान ज्यादा हैं। तेतासीस कोडा कोडी, साडातीस लाख कोडी उगणसाठ १६. उससे पांचमी नरक पृथ्वी ना नारकी असंख्यात गुणा है। हजार कोडी तणसो कोडी चोपन कोडी उगणचालीस लाख १७. उससे लोतक देवलोकना देवता असंख्यात गणा है। पसास हजार तण सो ने छत्तीस एटली संख्या ये मनुष्य छे तेना अठावीस भाग करीये नेमा एक भाग जीतने मनुष्य है १८. उससे चौथी नारक पृथ्वीना नारकी असंख्यात गुणा है। और सतावीस भाग जीतनी स्त्रीयो है। १९. उससे ब्रह्म देवलोकना देवता असंख्यात गुणा है। ३. उससे बाहर तेउकाय पर्याप्ता असंख्यात् गुणा एक आवलीका २०. उससे भीजी पृथ्वीना नारकी असंख्यात गुणा है। ना समय नो वर्ग करी तेने काइक न्यून आवलीका ना २१. उससे माहेन्द्र देवलोकना देवता असंख्यात गुणा है। समय साथे गुणेन पर जितने समय थाय उतने हे। २२. उससे सनत कुमार देवलोकना देवता असंख्यात गुणा है। ४. उससे अनुत्तर विमान वासी देवो असंख्यात गुणा है क्षेत्र २३. उससे बीजी शर्करा प्रभा नरक पृथ्वीना नारकी असंख्यात पल्योपम ने असंख्यात ये भागे जितने आकाश प्रदेश होय उतने है। २४. उससे संमूच्छिम् मनुष्य असंख्यात गुणा है। अंगुलप्रमाण ५. उससे उपर के तीन ग्रैवेयक के देवता संख्यात गुणा है । क्षेत्र प्रदेश रासि सम्बन्धी बीजा वर्ग मूल ने प्रथम मूल साथे ६. उससे मध्य भाग के ग्रैवेयक ना देवो संख्याता है। गुण करें तो जितने प्रदेश होते हैं उतने है। ७. उससे नीचे के तीन ग्रैवेयक के देवता संख्यात गुणा है। २५. उससे इशान देवलोकना देवता असंख्यात गुणा है। अंगुल ८. उससे अच्युत देवलोकना देवता संख्यात गुणा है। मात्र आकाश क्षेत्रनी प्रदेश राशि सम्बन्धी बीजो वर्गमूल जिसको त्रीजा वर्गमूल साथे गुण ने पर जितने प्रदेश होते ९. उससे आरण्य देवलोकना देवता संख्यात गुणा है। हैं, उससे घनीकृत एक प्रदेश की श्रेणी लेनी उससे जितने १०. उससे प्राणत देवलोकना देवता संख्यात गुणा है। आकाश प्रदेश होते हैं, उतने ईशान देवलोक के देवता ११. उससे आनत देवलोकना देवता संख्यात गुणा है। होते हैं। गुणा है। andurbibrosarokaraniwariwaridrokarokaririkan - ५ wardriwaridwarokariwarGr66oriorio-orband Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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