Book Title: Agam Suttani Satikam Part 30 Nandi Anuyoddwar
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(१४) जीवाजीवाभिगम - * प्रतिपत्तिः /* उद्देशकः / मूलं
खा भागमभ ॐ त्रास विभाग छे तो पत्र समश भाटे प्रतिपत्तिः पछी भेड भेटाविलग नोधनीय छे. भ प्रतिपत्ति -३-भां नेरइय, तिरिक्खजोणिय, मनुष्य, देव भेवा थारि पेटाविलागो थ े छे. तेथी तिपत्ति/ (नेरइय आदि) / उद्देशकः / मूलं से रीते स्पष्ट अलग पाडेला छे, श्रेष्ठ रीते शभी प्रतिपत्ति ना उद्देशकः नव नथी पत्र ते पेटाविभाग प्रतिपत्तिः नाभे ४ छे.
(१५) प्रज्ञापना - पदं / उद्देशकः / द्वारं/मूलं
पदना पेटा विभागभांडयां उद्देशकः छे, ज्यां द्वारं छे पक्ष पद-२८ना पेटा विभागमा उद्देशकः અને તેના પેટા વિભાગમાં દા પણ છે.
(१६) सूर्यप्रज्ञप्ति - प्राभृतं / प्राभृतप्राभृतं/मूलं
(१७) चन्द्रप्रज्ञप्ति प्राभृतं / प्राभृतप्राभृतं/मूलं
श्रागम १५-१७भां प्राभृतप्राभृत ना प प्रतिपत्तिः नाम पेटा विभाग छे. पक्ष उद्देशकः आहि મુજબ તેનો વિશેષ વિસ્તાર થાયેલ નથી.
(१८) जम्बूदीपप्रज्ञप्ति - वक्षस्कारः /मूलं (१९) निरयावलिका - अध्ययनं / मूलं (२०) कल्पवतंसिका - अध्ययनं / मूलं (२१) पुष्पिता अध्ययनं/मूलं
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(२२) पुष्पचूलिका - अध्ययनं / मूलं
(२३) वहिदशा - अध्ययनं /मूलं
आगम १८ थी २३ निरयावलिकादि नामथी साथै भेवा भणे छे प्रेम तेने उपांगना पांय वर्ग तरी सूत्रद्वारे भोजपावेला छे. मां वर्ग-१, निरयावलिका, वर्ग-२ कल्पवतंसिका... वगेरे भगवा
(२४ थी ३३) चतुः शरण (आदि दशेपयन्त्रा) मूलं
(३४) निशीथ उद्देशकः / मूलं
(३५) बृहत्कल्प - उद्देशक: /मूलं
( ३६ ) व्यवहार - उद्देशकः /मूलं (३७) दशाश्रुतस्कन्ध दशा / मूलं (३८) जीतकल्प - मूलं
( ३९ ) महानिशीथ - अध्ययनं / उद्देशकः / मूलं
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(४०) आवश्यक - अध्ययनं / मूलं (४१) ओघ / पिण्डनियुक्ति
मूलं (४२) दशवैकालिक - अध्ययनं / उद्देशक / मूलं (४३) उत्तराध्ययन अध्ययनं //मूलं (४४ - ४५ ) नन्दी - अनुयोगद्वार मूलं
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