Book Title: Agam 24 Chatushraan Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र २४, पयन्नासूत्र-१, 'चतुःशरण'
सूत्रसूत्र-६०
और फिर वो शुभ परिणामवाला जीव जो (शुभ) प्रकृति मंद रसवाली बाँधी हो उसे ही तीव्र रसवाली करता है, और अशुभ (मंद रसवाली) प्रकृति को अनुबंध रहित करत हैं, और तीव्र रसवाली को मंद रसवाली करते
सूत्र-६१
उस के लिए पंड़ितपुरुषों को संक्लेशमें (रोग आदि वजहमें) यह आराधन हमेशा करे, असंक्लेशपनमें भी तीनों कालमें अच्छी तरह से करना चाहिए, यह आराधन सुकृत के उपार्जन समान फल का निमित्त है।
सूत्र-६२
जो (दान, शियल, तप और भाव समान) चार अंगवाला जिनधर्म न किया, जिसने (अरिहंत आदि) चार प्रकार से शरण भी न किया, और फिर जिसने चार गति समान संसार का छेद न किया हो, तो वाकई में मानव जन्म हार गया है। सूत्र-६३
हे जीव ! इस तरह प्रमाद समान बड़े शत्रु को जीतनेवाला, कल्याणरूप और मोक्ष के सुख का अवंध्य कारणरूप इस अध्ययन का तीन संध्या में ध्यान करो।
(२४)-चतुःशरण-प्रकीर्णक-१ का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(चतुःशरण)” आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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